सच्चर समिति की रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभाने वाले डॉ सैयद जफर महमूद ने समान नागरिक संहिता के संबंध में विधि आयोग की प्रश्नावली पर सवाल उठाते हुए इसे अनुचित, पक्षपातपूर्ण तथा असंवैधानिक करार दिया है।
सच्चर समिति की रिपोर्ट तैयार करने में अहम भूमिका निभायी थी डॉ सैयद जफर महमूद ने
डॉ महमूद ने विधि आयोग के जनता से इस संबंध में मांगे सवालों के जवाब में कहा कि जिन लोगों ने इस मामले में आयोग के लिए सवाल तैयार किए हैं, उसे देखकर लगता है कि सवाल बनाने लोगों में विभिन्न धर्मांवलंबियों और महिलाओं तथा पुरुषों की संख्या समान नहीं थी इसलिए तैयार किए गए सवाल अनुचित तथा असंवैधानिक है। उन्होंने कहा कि इस प्रश्नावली में कई सवाल ऐसे हैं, जो एक धर्म विशेष का समर्थन करते हैं। प्रश्नों की सूची पूरी तरह से पक्षपातपूर्ण तथा एकपक्ष को ध्यान में रखकर तैयार की गयी है। इसलिए सवालों को फिर से तैयार करने की जरूरत है। उन्होंने इस बात पर आश्चर्य जताया कि राज्य नीति निर्देशक सिद्धांतों की संख्या 25 है और इनमें समान नागरिक संहिता वाला सिद्धांत 19वें स्थान पर है, लेकिन इनको लेकर सबसे ज्यादा फिक्र की जा रही है।
सभी धर्मों और सुमदायों में लैंगिक समानता पर जोर देने की जरूत पर बल देते हुए उन्होंने कहा कि इस काम के लिए धर्म विशेष की सीमा से उठकर सभी समुदायों को उत्साहित किया जाना चाहिए लेकिन यह आश्चर्यजनक है कि इस दिशा में काम करने के लिए अब तक कोई सरकारी एजेंसी सामने नहीं आयी है। डॉ महमूद ने हिंदू संयुक्त परिवारों के लिए कर प्रणाली पर भी सवाल उठाए और कहा कि संयुक्त परिवारों के लिए तैयार की गयी कर व्यवस्था ठीक नहीं है। इसके तहत कम कर देने की व्यवस्था अनुचित है। यह धार्मिक आधार पर पक्षपात है और संविधान में इसकी इजाजत नहीं है। जाति व्यवस्था की आलोचना करते हुए उन्होंने कहा कि यह संविधान विरोधी व्यवस्था है और इसे पूरी तरह से समाप्त किया जाना चाहिए। उनका कहना था कि सिर्फ हिंदुओं में अनुसूचित जाति के लिए आरक्षण की व्यवस्था वाले पैरा को संविधान से हटा दिया जाना चाहिए क्योंकि यह नागरिकों के बीच धामिर्क आधार पर पक्षपात है और संविधान इस तरह के पक्षपात की इजाजत नहीं देता है। उन्होंने महिलाओं के लिए हिंदू उत्तराधिकार कानून पर भी सवाल उठाए और इसे हिंदू महिलाओं के प्रति असमानता का कानून बताया।