मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने केन्द्र की नरेंद्र मोदी सरकार के तीन तलाक प्रथा को समाप्त करने की पहल पर तीखा हमला करते हुये आज कहा कि इस मुद्दे पर अंतिम निर्णय मुसलमान समुदाय पर छोड़ देना चाहिए और समान नागरिक संहिता को देश के लोगों पर जबरन नहीं थोपा जाना चाहिए। श्री कुमार ने जनता दल यूनाईटेड (जदयू) की रविवार को शुरू हुई दो दिवसीय राष्ट्रीय परिषद् बैठक के अंतिम सत्र को संबोधित करते हुये कहा नरेन्द्र मोदी सरकार देश की वास्तविक समस्याओं जैसे रोजगार और आसमान छू रही महंगाई से लोगों का ध्यान बंटाने के लिए ऐसे विवादास्पद मुद्दों को हवा दे रही है।
राष्ट्रीय परिषद की बैठक में बोले नीतीश
मुख्यमंत्री ने कहा कि तीन तलाक जैसे मुद्दों की व्याख्या करना नरेंद्र मोदी सरकार का काम नहीं है और इस पर अंतिम निर्णय लेने का अधिकार मुसलमानों का होना चाहिए। तीन तलाक मामले में केंद्र सरकार द्वारा मुस्लिमों पर थोपे जा रहे निर्णय का पूरे देश में विरोध हो रहा है। श्री कुमार ने इस मुद्दे पर चुप्पी तोड़ते हुये कहा कि यदि किसी समुदाय पर जबरन कोई निर्णय थोपने का प्रयास किया जाए तो उसमें रोष स्वाभाविक है। लेकिन, इस मुद्दे पर मुस्लिम समुदाय को विचार करने और बदलते परिवेश के अनुरूप निर्णय लेने की आजादी दी जाये तो समस्या का समाधान हो जाएगा।
अगले लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार माने जा रहे जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार ने गुजरात के उना में दलित उत्पीड़न मामले का उदाहरण देते हुये कहा कि विरोध के कारण उना के दलितों ने मृत पशुओं के चमड़े का पेशा छोड़ दिया है और वहां इसका परिणाम सभी ने देखा। भाजपा किसी न किसी मुद्दे पर हमेशा तनाव उत्पन्न करने की कोशिश करती रहती है लेकिन लोगों को इससे सावधान रहने की जरूरत है। मुख्यमंत्री ने भाजपा के बिहार में जंगलराज के बयान के खिलाफ तीखा हमला बोला और कहा कि यह राज्य को बदनाम करने की कोशिश है।