उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जब तक विधानमंडल के किसी सदन का सदस्य नहीं बन जाते हैं, तब तक लोकसभा के सदस्य बने रह सकते हैं। लेकिन उन्हें छह माह के अंदर विधान सभा या विधान परिषद में से किसी एक सदन का सदस्य बनना जरूरी है। जब तक वे लोकसभा से इस्तीफा नहीं देते हैं, तब तक लोकसभा की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं, किसी मुद्दे भी तरह के मत विभाजन में अपना वोट डाल सकते हैं। लेकिन किसी विधान मंडल के सदस्य बनने के बाद उन्हें 14 दिनों के अंदर लोकसभा से इस्तीफा देना होगा।
वीरेंद्र यादव
विधान सभा चुनाव लड़ सकते हैं योगी
संवैधानिक प्रावधानों के अनुसार, कोई भी व्यक्ति किसी राज्य का मुख्यमंत्री या मंत्री बन सकता है। उसके पास मात्र विधायक बनने की योग्यता होनी चाहिए। लेकिन उस व्यक्ति को शपथ ग्रहण से छह माह के अंदर किसी सदन की सदस्यता लेनी होगी, अन्यथा छह माह पूरा होने के बाद वह बिना इस्तीफा के वह अपना पद गवां बैठेगा।
उत्तर प्रदेश के संदर्भ में देखें तो मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के साथ दोनों उपमुख्यमंत्री किसी सदन के सदस्य नहीं हैं। उन्हें छह माह के अंदर विधान सभा या विधान परिषद की सदस्यता लेनी होगी। मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य दोनों सांसद हैं। दोनों के लिए एक समान संवैधानिक बाध्यता है।
राज्यपाल कोटे की तीन सीट खाली
मुख्यमंत्री आदित्यनाथ के संबंध में बताया जा रहा है कि वे विधान परिषद के सदस्य बनने के बजाये विधान सभा चुनाव लड़ेंगे। वे गोरखपुर जिले के ही किसी विधान सभा क्षेत्र से चुनाव लड़ सकते हैं। वर्तमान स्थिति में कोई भी विधायक उनके लिए इस्तीफा देने को तैयार हो जाएगा। उल्लेखनीय है कि 100 सीटों वाली विधान परिषद में इस वर्ष किसी सदस्यत का कार्यकाल पूरा नहीं हो रहा है। इस कारण चुनाव की कोई संभावना नहीं है। हालांकि राज्यपाल कोटे की तीन सीट अभी खाली हैं, जिस पर मंत्रियों का मनोनयन हो सकता है।