मुख्यमंत्री नीतीश कुमार उस समय भावुक हो गए, जब वह महिलाओं की उपलब्धियों को गिना रहे थे। विश्व महिला दिवस पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने कहा कि बिहार की तस्वीर बदली है, छवि बदली है तो उसमें महिलाओं की बड़ी भूमिका है। गांवों की पगडंडियों पर साइकिल सवार लड़कियों को स्कूल जाते देखकर कोई भी कह सकता है कि बिहार बदल गया है। इस मौके पर सीएम ने महिलाओं सम्मानित भी किया।
महिलाओं को मिले सम्मान
मुख्यमंत्री ने कहा कि इस समारोह राज्य भर से वैसी महिलाएं आई हैं, जिन्होंने अपने दम पर सफलता हासिल की है। सरकार की योजनाओं का लाभ देते समय इन महिलाओं को विशेष फायदा देने की जरूरत है, जिन्होंने अपने दम पर सफलता के झंडे गाड़े हैं। इससे समाज को नई दिशा मिल सकती है। उन्होंने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिए शिक्षा सबसे अधिक जरूरी है। श्री कुमार ने कहा कि गांव की लड़कियां साइकिल चलाकर स्कूल जा रही हैं और शिक्षा प्राप्त कर अपने सपने साकार कर रही हैं। बिहार में लड़कों और लड़कियों का नामांकन दर सुधरकर 54/46 हो गया है और यह आने वाले सालों ने 50/50 का हो जाएगा। गांव के लोगों की मानसिकता में भी बदलाव आया है।
बढ़ती जनसंख्या चिंताजनक
सीएम ने कहा कि बिहार की तेजी से बढ़ रही जनसंख्या उनके लिए एक चुनौती है। बिहार की महिलाओं का फर्टीलिटी रेट 3.6 है। बिहार समेत पूरे देश में दसवीं पास महिलाओं का फर्टीलिटी रेट 2 से अधिक और 12वीं पास लड़कियों का फर्टिलिटी रेट 1.7 है। इससे ज्ञात होता है कि जन्मदर घटना के लिए लड़कियों को शिक्षित करना सबसे जरूरी है। उन्होंने कहा कि सरकार राज्य की सभी लड़कियों को प्लस टू तक शिक्षा देने की कोशिश करेगी, जिससे जन्मदर खुद ब खुद कम हो जाएगा। नीतीश कुमार ने कहा कि लड़कियों को शिक्षित करने से कन्याभ्रूण हत्या और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं से भी निजात मिल सकती है।
Comments are closed.