फरिश्ता बन के डटे रहे डा. कफील
गोरखपुर के अस्पताल में ऑक्सिजन के बिना बच्चे तड़प के मर रहे थे, मंत्री गहरी नींद में थे और प्रशासन  राक्षस के रूप में थे तो डा.कफील एक देवता के अवतार में रात भर डटे रहे और दर्जनों बच्चों की जान बचा लेने में कामयाब रहे.

फरिश्ता बन के डटे रहे डा. कफील
उनके इस साहसिक काम की जम कर तारीफ हो रही है.
गोरखपुर के बीआरडी अस्पताल में जब बच्चे ऑक्सीजन की कमी से दम तोड़ रहे थे, तो वहां कुछ डॉक्टर्स ऐसे भी थे जो उन्हें बचाने के लिए अपनी पूरी ताकत झोंक रहे थे। डा. कफील अहमद का है। जो बच्चों को बचाने के लिए सारी रात जूझते रहे।रात करीब दो बजे प्रभारी व बाल रोग विशेषज्ञ डॉक्टर कफील अहमद को यह सूचना दी कि अगले एक घंटे में ऑक्सीजन खत्म हो जाएगी। इस सूचना ने कफील अहमद को अपनी योग्यता का इस्तेमाल करने के लिए बेबस  कर दिया, वह भागते हुए अपने दोस्त के अस्पताल पहुंचे और वहां से ऑक्सीजन का तीन जंबो सिलेंडर बीआरडी लेकर पहुंच गए।  इतना ही नहीं जब ये सिलंडर भी खत्म होने लगे तो उन्होंने अपनी जेब से एटिएम कार्ड निकाला और एक व्यक्ति को पैसे निकाल कर लाने को कहा. उसके बाद उन्होंने आक्सिजन की अपने पैसे से खरीद की और पूरी रात मासूमों की जान बचाते रहे.
 
सुबह साढ़े सात बजे ऑक्सीजन पूरी तरह खत्म हो चुकी थी। हालात बेकाबू हो चुके थे। ऐसे में डॉक्टर कफील ने मोर्चा संभाला और दम तोड़ रहे बच्चों के इलाज में जुट गए। मासूमों को बचाने के लिए कफील अहमद ने हर मुमकिन कोशिश की। जहां एक तरफ डॉक्टर कफील बच्चों को बचाने के लिए जूझते नज़र आए वहीं अस्पताल के कई सीनियर डॉक्टर नदारद रहे। विभागाध्यक्ष डॉ. महिमा मित्तल करीब 11 बजे वार्ड पहुंची। डॉ. भूपेन्द्र शर्मा दोपहर एक बजे वार्ड पहुंचे। दूसरे कई शिक्षक तो वार्ड की तरफ आए भी नहीं।
गौरतलब है कि अस्पताल को आक्सिजन सप्लाई करने वाली कम्पनी ने आक्सिजन देने से इसलिए रोक दिया था कि अस्पताल के पास उसके 69 लाख रुपये बकाया हो चुके थे. इस कारण 33 बच्चों की मौत सिर्फ इसलिए हो गयी क्योंकि उन्हें आक्सिजन नहीं मिल पाया.

By Editor


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