वरिष्ठ पत्रकार दिलीप मंडल बता रहे हैं कि सेक्युलर राजनीति करने वाली पार्टियां मुसलमानों के भाजपा से डर का राजनीतिक दोहन करती हैं. जब मुसलमान भाजपा विरोध के बजाये अपनी सियासत शुरू करेंगे तभी वे सशक्त बन सकेंगे.
मुसलमानों ने जिस दिन बीजेपी को हराने लिए वोट डालना बंद कर दिया और इंग्लिश एजुकेशन, नौकरी, रोज़गार, बैंक लोन जैसे अपने मुद्दों पर राजनीति शुरू कर दी, उस दिन बीजेपी हवा हो जाएगी।
यूपी में मुसलमान 20% हैं। लेकिन उनकी अपनी कौन सी राजनीति है। कभी इस ठांव, कभी उस ठांव।
मुसलमान अपनी भलाई की राजनीति न करें, इसके लिए बीजेपी डराती है और दूसरी पार्टियाँ उस डर की राजनीति करती है।
अपनी राजनीति कीजिए। ज़रूरत के मुताबिक़, औरों से गठबंधन कीजिए। सामाजिक और राजनैतिक दोनों तरह के गठबंधन। परस्पर लाभ पर आधारित गठबंधन।
थोड़ा मौक़ापरस्त बनें। सभी करते हैं। इतनी बुरी बात भी नहीं है।
बीजेपी को हराने का ठेका सिर्फ़ आपने नहीं ले रखा है। बीजेपी ने अपने राज में दलितों और पिछड़ों को ज़्यादा मारा है। वे क्यों बीजेपी को हराने के लिए अपनी राजनीति की क़ुर्बानी नहीं देते?