पूर्वी चम्पारण और सीतामढ़ी जिले को जोड़ने वाला जमुआ घाट पर पुल निर्माण को लेकर दशकों से चली आ रही मांग पूरी हो गई है। ढ़ाका विधायक पवन जायसवाल ने बताया कि पुल के कई वर्षों से संघर्ष जारी था।
पूर्व सांसद स्वर्गीय मोतीउर्रहमान ने अपने कार्यकाल मे बहुत कोशिश की और राज्य सभा में कई बार प्रश्न भी उठाये। सफलता के क़रीब पहुंचने से पूर्व ही अचानक उनकी मृत्यु हो गई। तब से पुल का मामला अधर में था। लेकिन विधायक जयसवाल की सकारात्मक पहल से राज्य सरकार से स्वीकृति मिल गई है। स्वीकृति मिल जाने के बाद अब पुल के नामकरण को लेकर मुद्दा गरमाया हुआ है।
क्षेत्र की जनता चाहती है कि इस पूल का नाम ‘रहमान सेतु’ रखा जाये। ग्राम सपही के युवा समाजसेवी और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ़ सोशल साइंसेज मुंबई में समाज कार्य के छात्र तारिक़ अनवर चम्पारणी ने बिहार के मुख्यमंत्री, ग्रामीण कार्य मंत्री नीतीश कुमार और गृह सचिव को पत्र लिखकर इसकी पहल की है। उनका कहना है कि जमुआ घाट पुल का नाम “रहमान सेतु” रखने के पीछे कई कारण है। एक तरफ पूर्व सांसद, चंपारण गांधी मोतीउर्रहमान के संघर्षों को याद रखा जा सकेगा तो दूसरी तरफ पूर्व स्वतन्त्रता सेनानी और ढ़ाका विधानसभा के प्रथम विधायक मौलाना मसूद-उर-रहमान की क़ुर्बानियों को फिर से जीवित किया जा सकेगा।
ज्ञात हो कि अंग्रेजो के समय में जब सूचना के सारे तंत्र बंद कर दिए गए थे तब ‘रेशमी रूमाल तहरीक’ चली थी और जमुआ घाट के माध्यम से ही सूचना का आदान-प्रदान किया जाता था। इस तहरीक के नेता मौलाना मसूद-उर-रहमान हुआ करते थे। तारिक़ अनवर का मानना है कि ‘रहमान सेतु’ नामकरण से दोनों ‘रहमान साहब’ का नाम जीवित हो जायेगा। उन्होंने अपनी मांग को पूरी करने के लिए एक अभियान छेड़ रखा है, जिसमे समस्त क्षेत्रवासियों की भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए लगातार लोगों के संपर्क में हैं। ढ़ाका फैन क्लब, हक़ फाउंडेशन, ढ़ाका युवा मंच और चंपारण एजुकेशन सोसाइटी एंड सोलडिरटी फोरम के सहयोग से एक जन-आंदोलन की भी तैयारी कर रहे हैं।
Comments are closed.