केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. हर्षवर्द्धन ने जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाव के लिए वैश्विक पहल के साथ-साथ व्यक्तिगत पहल किये जाने की जरूरत पर बल देते हुये आज कहा कि पर्यावरण को सुरक्षित रखने के लिए पूवर्जों के कार्यों को ईमानदारी से सहेजने का प्रयास करना होगा।
डॉ. हर्षवर्द्धन ने पटना में कहा कि जलवायु परिवर्तन के खतरों से बचाव के लिए वैश्विक पहल के साथ-साथ व्यक्तिगत पहल भी करने होंगे और इसके लिए जरूरी है कि हम ‘ग्रीन-गुड डीड्स’ को अपनाएं।” उन्होंने कहा कि वस्तुतः ग्रीन-गुड डीड्स को ‘हरित सामाजिक उत्तरदायित्व’ के रूप में अपनी सोच, व्यवहार और दैनिक क्रियाकलापों में शामिल करने होंगे, तभी जलवायु परिवर्तन की दिशा में किए जाने वाले प्रयासों को वास्तविक सफलता हासिल हो सकेगी।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि आज पूरी दुनिया ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के खतरों से चिंतित है। पर्यावरण और जीवन पर उसका प्रभाव हर वैश्विक मंच की कार्य सूची पर है लेकिन हर कोई अपेक्षा के साथ भारत की ओर देख रहा है क्योंकि उन्हें लगता है कि भारतवासियों के पास पर्यावरण की सुरक्षा डीएनए में है। उन्होंने कहा कि हमारे पूर्वजों ने पर्यावरण की सुरक्षा को अपनी जीवन शैली का एक हिस्सा बना दिया था। यह हमारी संस्कृति का अभिन्न अंग था। हमारे पूर्वजों ने नदियों, वायु, पेड़ों, जंगलों और पृथ्वी की पूजा की और वे जमीन के साथ सामंजस्य से जीवन व्यतीत करते थे, लेकिन हमारे द्वारा आधुनिक जीवनशैली को अपनाने के दौरान पूर्वजों के पर्यावरण-हितैषी कार्यों की अनदेखी की जा रही है, जो चिंताजनक है।