जब एक पत्रकार अपनी कलम से विष उगले. जब एक पत्रकार कहे कि जेएनयू के गिरफ्तार छात्रों का इलाज यह है कि उसे रेप किया जाये.तो पत्रकारिता ही नहीं पूरा समाज, पूरा देश खतरे में है, यह मान लेना चाहिए.
नौकरशाही डेस्क
यह पत्रकार किसी छोटे पद पर नहीं है. देश के सबसे बड़े अखबारों में से एक दैनिक जागरण का डिप्टी न्यूज एडिटर है. आगरा निवासी इस पत्रकार का नाम है- डॉ अनिल दीक्षित. इसने अपने फेसबुक पोस्ट में लिखा है कि “जेएनयू की काली कोख से पैदा हुए देशद्रोही उमर खालिद और अनिर्बान भट्टाचार्य को पुलिस कोर्ट में पेश करेगी’. उसने लिखा है कि “इन दोनों कैदियों का बलात्कार करना चाहिए. यह बलात्कार या तो जेल के कैदी करें या फिर खुद वकील करें”.
दिमागी रूप से असंतुलित और घृणा व विकृत मानसिकता का यह पत्रकार इतना कहके ही चुप नहीं रहा. उसने लिखा कि “उमर खालिद और भट्टाचार्य की भी धुनाई होनी चाहिए. इनसे लौंडे कैदियों का कई रात काम चल सकता है, जैसे कि निर्भया रेपकांड के दोषियों से कैदियों ने काम चलाया था”. मामले को और स्पष्ट करते हुए दिक्षित ने लिखा है कि “जेल के कैदी निर्भया कांड के दोषियों को बलात्कार का मजा चखाते थे. इस बहाने उन्हें पता चल जायेगा कि हर घर से अफजल यूं ही नहीं निकल सकता”.
इस पत्रकार ने फेसबुक पर अपने पाठकों को ललकारा है और आखिरी पंक्ति में कहा है कि ‘हम देशप्रेमियों की भूजायें फड़क रही हैं’.
दैनिक जागरण इसे नौकरी से बाहर करे
हालांकि जब इस जहरीले सोच से भरे पत्रकार को किसी ने समझाया तो उसने इस पोस्ट को हटा लिया. लेकिन कुछ सजग लोगों ने इसके पोस्ट का स्क्रीनसॉट ले लिया.
देश के सजग लोगों, संगठनों, प्रशासन और अदालतों को सोचना होगा कि ऐसे लोग न सिर्फ देश के असली गद्दार हैं बल्कि ये देश को टुकड़े-टुकड़े करने, गृहयुद्ध की स्थिति पैदा करने, हिंसा फैलाने और समाज में घृणा की दीवारें खड़ी करने वाले हैं.
दूसरी तरफ दैनिक जागरण समूह को भी यह तय करना होगा कि इस तरह के पत्रकार जो पत्रकारिता को कलंकित करने की मानसिकता रखते हैं, उन्हें फौरन अखबार से निकाल बाहर करना चाहिए. कोर्ट को ऐसे विष बोने वाले लोगों के खिलाफ खुद ही संज्ञान ले कर सलाखों के पीछे पहुंचाना चाहिए.
नोट-जब अनेक वेबसाइट ने इस खबर को उठाया तो पहले इस पत्रकार ने अपना पोस्ट हटा लिया. पर 25 फरवरी को ग्यारह बजे सुबह इसने अपना फेसुबक अकाउंट भी बंद कर दिया है.