पूर्व मंत्री बिजेंद्र प्रसाद यादव ने कहा है कि भाग्य, भोग और भगवान – इन तीन रोगों से पीड़ित है यह मुल्क। समाजवादी आंदोलन के आधार स्तंभ और पूर्व सासंद भूपेंद्र नारायण मंडल की जयंती के मौके पर पिछले दिनों मधेपुरा में आयोजित संगोष्ठी में उन्होंने कहा कि विचार और व्यवहार की खाई दूर की जानी चाहिए।
अरुण नारायण
श्री यादव ने लोहिया की चर्चा करते हुए कहा कि हमारे समाज में तीन तरह के दुख हैं। प्रमुख जातीय व्यवस्था के चलते है, जिसमें ऊंची जाति वाले अपने से नीचे वाले के साथ अस्पृश्यता के रूप बरतते हैं। अगड़ी जातियों में भी एक प्रतिशत लोग ही अमीर हैं, उसका एक बड़ा हिस्सा आर्थिक रूप से विपन्न है। लेकिन उसको सम्मान का दुख नहीं है, उसे पेट का दुख है, मन का दुख नहीं है। ऊंची जातियों के 99 प्रतिशत लोगों को पेट का दुख है, लेकिन लोग उन्हें प्रणाम करते हैं। लेकिन पिछड़ी जातियों को पेट का संकट नहीं है, लेकिन उसे सम्मान का दुख जरूर है।
त्याग के प्रतिमूर्ति
पूर्व भूमि सुधार एवं राजस्व मंत्री नरेंद्र नारायण यादव ने कहा कि भूपेंद्र बाबू जात से जमात की ओर चलने का आदर्श प्रस्तुत किया। 1967 में लोहिया उन्हें सीएम बनाना चाहते थे, लेकिन उन्होंने कर्पूरी जी को आगे किया। आज के विषम माहौल में उनकी नीतियां और कार्यक्रम और अधिक प्रासंगिक हो गए हैं। वरिष्ठ पत्रकार उर्मिलेश ने भारत में राष्ट्रवाद, इसका विभाजन, साम्यवादी और पूंजीवादी देश की शासन व्यवस्था, अन्ना और केजरीवाल के अंतर्विरोधपूर्ण आंदोलन, दक्षिण भारत, पूर्वोत्तर, व उत्तर भारत की शासन व्यवस्था, गांवों और शहरों व गरीबी और अमीरी की बढ़ती खाई पर तथ्यपूर्ण प्रकाश डाला।
सादगी थी पहचान
इस संगोष्ठी का आयोजन सामाजिक संस्था बागडोर ने किया था। संगोष्ठी का विषय था-‘मौजूदा परिदृश्य में विचार और व्यक्तित्व का संकट’। इसके आयोजन में इंजीनियर संतोष यादव की महत्वपूर्ण भूमिका रही थी। उल्लेखनीय है कि भूपेंद्र बाबू ने जमींदार परिवार में जन्म लेकर भी आजीववन सादगी का जीवन जिया। मुख्यमंत्री की कुर्सी लेने में परहेज किया, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष बने और बिहार में समाजवाद की नींव खड़ी की। भूपेंद्र बाबू के अवदान को याद करने के लिए इस संगोष्ठी का आयोजन मधेपुरा में किया गया था।
संगोष्ठी की अध्यक्षता बीएन मंडल विश्वविद्यालय के कुलपति बिनोद कुमार ने की। स्वागत भाषण कुमारेश प्रसाद सिंह ने और धन्यवाद ज्ञापन अरुण नारायण ने किया। सभा को साहित्यकार शांति यादव, विधान पार्षद उदयकांत चौधरी, विजय कुमार वर्मा, रमेश ऋषिदेव, पूर्व विधायक राधाकांत यादव, विधायक अरुण कुमार, जगनारायण सिंह यादव, अरविंद निशाद, भूपेंद्र कुमार मधेपुरी, सुरेश प्रसाद यादव, कुमार हिमांशु, कुमार भास्कर ने भी अपने विचारों से गंभीर विमर्श का रूप दिया।
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