बिहार सामाजिक और राजनीतिक सशक्तीकरण के दौर से आगे निकल गया है। अब इसके आर्थिक सशक्तीकरण की जरुरत है। आर्थिक तरक्की ही बिहार को अग्रिम कतार में ले जायेगी। ये बातें आद्री के सचिव शैबाल गुप्ता ने जगजीवन राम संसदीय अध्ययन एवं राजनीतिक शोध संस्थान की त्रैमासिक पत्रिका डेमोक्रेसिज के विमोचन के अवसर पर कहीं। बिहार विधानसभा चुनाव,2015 पर केंद्रित डेमोक्रेसिज का विमोचन शैबाल गुप्ता, प्रो. पुष्पेन्द्र, इतिहासकार अशोक अंशुमान और टाइम्स ऑफ इंडिया के प्रभारी संपादक राज कुमार ने संयुक्त रूप से किया। संस्थान के निदेशक श्रीकांत ने कहा कि हमने डेमोक्रेसिज का यह अंक सीएसडीएस के सहयेाग से निकाला है। इस अंक से बिहार के चुनाव को समझने में सहायता मिलेगी।
डेमोक्रेसिज के नये का हुआ लोकार्पण
शैबाल गुप्ता ने कहा कि यह पत्रिका बिहार की चुनावी राजनीति पर केंद्रित है। इसके तमाम लेख शोधपरक एवं विश्लेषणात्मक है। उन्होंने कहा कि बिहार में सबनेशनल आइडेंटिटी का अभाव है। डॉ. पुष्पेन्द्र ने कहा कि डेमोक्रेसिज का यह अंक संग्रहणीय है, जो बिहार के चुनाव को समझना चाहते हैं। उन्हें इससे मदद मिलेगी, लेकिन जो चुनाव से पहले नतीजा देखना चाहते हैं, उन्हें निराशा होगी। प्रो. अशोक अंशुमान ने कहा कि बिहार की उपेक्षा का जो इतिहास है, वह लंबा और ऐतिहासिक है। आज भी इसकी उपेक्षा को लेकर राजनीति हो रही है। पत्रकार राज कुमार ने कहा कि संस्थान के निदेशक श्रीकांत के नेतृतव में निकला डेमोक्रेसिज का यह अंक बिहार के चुनाव को समझने में सहायक साबित होगा।
इस मौके पर अर्थशास्त्री एन.के. चौधरी, पूर्व सासंद शिवानंद तिवारी, प्रो. रामवचन राय, विद्यानंद विकल, साहित्यकार जुगनू शारदेय, रघुपति सहित कई गणमान्य अतिथि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. वीणा सिंह और धन्यवाद ज्ञापन रजिस्ट्रार डॉ. सरोज कुमार द्विवेदी ने किया।