वरिष्ठ पत्रकार ज्ञानेश्वर एक खतरनाक साजिश उजागर करते हुए बता रहे हैं कि कैसे एक मां-बाप ने अपने एड्स पीड़ित बेट से दहेज और पोता पाने के चक्कर में शादी रचा दी.उन्होंने दशहरा पर कटिहार की एसपी किम को फोन तो शुभकामना देने के लिए किया था पर किम ने जो कहानी बताई, वह समाज के अंदर की आसुरी शक्रोंतियों को दर्गशाती है-
कटिहार की एक घटना का आज आपको दर्पण दिखाना चाह रहा हूं,जो समाज के भीतर छुपी बुराई को सीधे तौर पर इंगित करता है. कोढ़ा इलाके में रहने वाले एक मां-बाप को पता चला कि जवान बेटे को एड्स हो गया है. बेटे ने कहां से लाया एड्स,पता नहीं. जानकर फायदा भी नहीं होता.
बेटे का इलाज प्रारंभ हुआ,लेकिन चुपचाप. चलिये,इसमें भी कोई गुरेज नहीं.डाक्टारों ने कह दिया कि बेटे की जिंदगी की कोई गारंटी नहीं. फिर,यहीं से जन्मं लेने लगा मां-बाप के मन के भीतर का पाप.
मां-बाप ने मिलकर बेटे की शादी की खतरनाक प्लानिंग की. सोचा,जल्दी से दादी-दादा बन जाना है. खानदान चलता रहेगा. बेटे को एड्स होने की जानकारी छुपाई गई. होने वाली बहू की तलाश हुई. कुंडली का मिलान भी कराया गया. पंडित जी ने सलामती की मुहर लगा दी.
कुंडली का मिलान पूरे भारतवर्ष का प्रचलन है. दुनिया के वैसे कई देशों में मुझे जाने का मौका मिला है,जहां कुंडली का कोई वजूद ही नहीं. इन देशों में लव और अरेंज दोनों प्रकार की शादियां होती हैं. अरेंज मैरेज में यहां कुंडलियों की जगह मेडिकल रिपोर्ट्स को देखने की परंपरा है. मैं मानता हूं कि यह ज्यादा वैज्ञानिक है और इसका अनुकरण भारत में भी किया जाना चाहिए.
खैर,मां-बाप ने एड्स पीडि़त अपने बेटे की शादी कर दी. दहेज में ढ़ेर सारा सामान भी ले लिया. दोनों नवविवाहित एक-दूसरे के करीब आये. फिर क्या था,बेटे की बीमारी ने बहू को भी डंस लिया. साल के भीतर ही पहले से एड्स पीडि़त बेटे की मौत हो गई. बहू विधवा हो गई. लेकिन बहू को सांत्वना देने की जगह सास-ससुर ने उलाहना देना शुरु कर दिया.बेटे की मौत का कसूरवार ठहराने लगे. कहा जाने लगा कि विवाह के साथ एड्स तुम्हीं घर लेकर आयी. बहू अवाक् थी,संभलती,इसके पहले ही घर निकाला मिल गया.
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समाज की घृणा बन चुकी परेशान अभागन ने आखिरकार कटिहार की पुलिस अधीक्षक किम के जनता दरबार में गुहार लगाई .स्वयं महिला होने के कारण किम ने दर्द को करीब से समझा. कार्रवाई से पहले उन डाक्टरों से तस्दीक करायी,जिनके यहां दोनों का इलाज चला था. पुष्टि हुई कि लड़की से पहले लड़के को एड्स हुआ था. फिर,सास-ससुर को बुलाया गया. दोनों झूठ की कहानी सुनाते रहे. जेल जाने का भय दिखा,तो सच कबूला.
एसपी किम ने समझा कि जेल भेजने का बहुत फायदा नहीं. सो,गांव व आसपास के मानिंद लोगों को इकट्ठा किया गया. पूरी कहानी सुनायी गई. सही-गलत करने का फैसला मानिंदों को ही करने को कहा गया. मानिंदों का फैसला महिला के पक्ष में आया. कहा गया कि घर निकाला मंजूर नहीं. इलाज का खर्च व संपत्ति में दिवंगत बेटे का हक बहू को देना होगा. आज विजयादशमी की शुभकामनाएं देने को मैंने मैडम किम से बातचीत की थी,वह इससे खुश थीं कि पीडि़ता का इलाज ठीक से चल रहा है.समय-समय पर मैं खुद खबर लेती रहती हूं .