बिहार में राजद की सत्ता में वापसी के साथ पंचायती राज में भी यादवों की वापसी हो गयी है। जिला परिषद अध्यक्षों की सूची इसी बात का संकेत दे रही है। राज्य के सभी 38 जिलों में से 10 जिलों में अकेले यादव जाति के अध्यक्ष चुने गए हैं। जबकि राजपूत व पासवान जाति के 3-3 लोग जीते हैं। दो सीटों पर भूमिहार जाति का कब्जा है।
वीरेंद्र यादव
(जिला परिषद अध्यक्षों की जातिवार सूची के लिए लिंक है-
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पंचायती राज के बहाने राजनीति का नया अध्याय शुरू हो गया है। बड़े राजनेता अब पंचायती निकायों के माध्यम से पंचायतों में दखल देने लगे हैं। श्रमसंसाधन मंत्री विजय प्रकाश की पत्नी विनिता प्रकाश जमुई जिला परिषद की अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं। पूर्व विधायक पवन जयसवाल भले विधान सभा चुनाव हार गए हों, लेकिन पत्नी के सहारे पूर्वी चंपारण जिले की राजनीति में अपनी दखल बनाने में सफल रहे। उनकी पत्नी प्रियंका जयसवाल मोतिहारी की जिला परिषद अध्यक्ष निर्वाचित हुई हैं।
अनारक्षित सीटों पर दखल
अनारक्षित सीटों पर आरक्षित वर्गों की जीत को भी बड़ी उपलब्धि माना जा सकता है। मधुबनी अनारक्षित वर्ग की महिला के लिए आरक्षित था। इस सीट पर रविदास जाति की शीला देवी ने कब्जा जमाया है। भागलपुर और बांका अनारक्षित सीट पर भी आरक्षित वर्ग के लोगों ने जीत दर्ज की है। भागलपुर से अतिपिछड़ी हवलाई जाति के अनंत कुमार और बांका से दांगी जाति के सुनील सिंह ने जीत दर्ज की है।
25 सीटों पर महिलाएं
महिलाओं की बढ़ी भागीदारी ने लोकतंत्र के प्रति महिलाओं की आस्था बढ़ायी है। पूरे राज्य में जिला परिषद अध्यक्ष पद पर महिलाओं के लिए 18 सीट आरक्षित हैं, जबकि 25 महिलाओं ने अध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया। जातिवार आंकड़े को देंखे तो यादव 10, राजपूत और पासवान 3-3, भूमिहार, रविदास, हलवाई, तेली, दांगी और मुसलमान जाति के 2-2 अध्यक्ष हैं। इसके अलावा ब्राह्मण, कुर्मी, कुशवाहा, जयसवाल, आदिवासी, धानुक, कहार, पासी, रजवार और बरई जाति के 1-1 व्यक्ति जिला परिषद के अध्यक्ष हैं।