– कार शॉप वालों ने कहा, जीएसटी में उधेड़बुन वाले हालात, रेस्तरां बाजार का भी वही हाल
पटना
जीएसटी लागू होने के बाद तीसरा दिन. दिन के 12.30 बजे बोरिंग रोड के मारुति के कारलो शो-रूम में माहौल पूरी तरह से शांत दिखाई दे रहा है. अमूमन कार इंक्वायरी के लिए भरा रहनेवाला गलियारा पूरी तरह खाली पड़ा हुआ है. शो रूम के कर्मचारी आपस में बातचीत कर रहे थे. मैनेजर गौरव वर्मा अपने कर्मचारियों के साथ जीएसटी की बारीकियां शेयर कर रहे थे. यहां पर इक्का दुक्का लोग ही कार देखने के लिए आये हुए हैं. हालांकि इस वक्त तक जो हालात थे वह बिल्कुल प्रतिकूल दिखाई दे रहे थे. जीएसटी को लेकर कंपनी से कोई गाइड लाइन नहीं दी गयी है. यही नहीं व्यावसायिक संगठनों में भी मत स्पष्ट नहीं है. हमने जब गौरव वर्मा से जीएसटी के बाबत सवाल किये तो उन्होंने कहा कि देखिये अभी तो कुछ भी निर्देश मिला ही नहीं है तो हम कैसे कहें? कहीं से कोई सूचना नहीं है, असमंजस भरी स्थिति है और आप यह समझ लीजिए कि यदि कोई ग्राहक अभी कैश लेकर पहुंच भी जाये तो हम उन्हें गाड़ी नहीं मुहैया करा सकते हैं.
कार बाजार में 33 प्रतिशत तक लगता था टैक्स
कार बाजार के विशेषज्ञों ने बताया कि बिहार में कार खरीदने पर 33 फीसदी तक टैक्स लगता था. इसमें 15 फीसदी वैल्यू एडेड टैक्स यानी वैट था. सर्विस टैक्स, सरचार्ज और अन्य टैक्स मिलाकर कुल 33 फीसदी तक टैक्स देना पड़ता था. जीएसटी में यह दर अधिकतम 28 फीसदी तक ही रहेगी. यानी पांच फीसदी का फायदा तो ग्राहकों को होने की उम्मीद है. कार विशेषज्ञ नवीन कुमार सिंह कहते हैं कि यह बिहार के ग्राहकों के लिए अच्छी स्थिति है. हम अब ज्यादा कीमत नहीं चुकायेंगे और इसका भरपूर फायदा उठा सकेंगे. इस बीच कई ग्राहक ऐसे थे जिनपर जीएसटी का कोई फर्क भी नहीं पड़ रहा था. पुनाईचक के मनीष चंद्रा ने बताया कि हमें तो 22 हजार रुपये फायदे हो रहे हैं. जीएसटी के कारण जब कार बाजार के सस्ता होने की खबर देखी तो लगा कि टोकन मनी देकर गाड़ी की बुकिंग ही करा ली जाये. और मैं बुकिंग करा के संतुष्ट हूं. अगस्त में मेरी गाड़ी की डिलिवरी हो जायेगी. मुजफ्फरपुर से आये जी राम और जानकी कुमारी ने भी कार की टेस्टिंग की. उन्होंने बताया कि देखिये अभी खरीदेंगे नहीं, जीएसटी का वेट करेंगे. केवल देखने के लिए आ गये. पत्नी ने इसके लिए कहा था कि देख ही लिया जाये. जबतक जीएसटी के बारे में क्लियर नहीं हो जायेगा. तबतक नहीं खरीदेंगे.
रेस्तरां बाजार: हमलोग तो पैक्ड पनीर भी मंगाते हैं, उसका टैक्स कैसे दें?
डाकबंगला चौराहे के पास यो चिली रेस्तरां में दिन के दो बजे रेस्तरां में ग्राहक तो हैं लेकिन उनका दिमाग जीएसटी पर लगा हुआ था. ग्राहक आपस में बातचीत करने के क्रम में जीएसटी पर फोकस कर रहे थे कि आखिर कितना और टैक्स लगेगा? कोई कह रहा था कि देखिये अब रेस्तरां में खाना पहले से सस्ता होगा वहीं दूसरा कह रहा था कि रेस्तरां में खाना महंगा होगा. इस बीच रेस्तरां के संचालक काजी एकता इस बहस में दाखिल होते हैं. वह साफ करते हैं कि देखिये रेस्तरां में खाना अब सस्ता होगा. क्योंकि 18 फीसदी ही टैक्स लगेगा जो पहले वैट, सर्विस टैक्स और सेस आदि मिलाकर 21 फीसदी तक हो जाता था इस कारण परेशान होने की जरूरत नहीं है लेकिन वे अंदर से परेशान दिखाई दे रहे थे. उन्हें परेशान किया था जीएसटी लागू हाेने के तरीके ने. उन्होंने कहा कि देखिये अब तक कोई गाइडलाइन तो मिली नहीं है लेकिन यह स्पष्ट कहा गया है कि जिस रेस्तरां की सालाना आय 20 से 75 लाख रुपये है वह 12 फीसदी टैक्स भरेगा और 75 लाख से ऊपर सालाना आमदनी वाले 18 फीसदी चुकाएंगे. यही हिस्सा ग्राहकों से लेना है. लेकिन अब तक यह नहीं बताया गया है कि आपको पैकेज्ड फूड या फिर सामग्री खरीदने पर कितना टैक्स देना है? अब बताइए हम लोग तो पनीर भी खरीदते हैं. बेबी कार्न और कार्नफ्लेक्स भी खरीदते हैं. अब यह आगे आने वाले दिनों में साफ होगा.