भाजपा के वरिष्ठ नेता सुशील मोदी मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के पदचिन्हों पर चलने की कोशिश कर रहे हैं। बाल विवाह व दहेज प्रथा के खिलाफ मुख्यमंत्री के अभियान का ‘ब्रांड अंबेसडर’ बन रहे हैं। हम बात कर रहे हैं उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के बड़े पुत्र उत्कर्ष की शादी की। उपमुख्यमंत्री ने पुत्र की शादी के निमंत्रण कार्ड ईमेल, वाट्सअप या एसएमएस के माध्यम से भेजा है। शादी कार्ड प्रिंट नहीं हुआ है। शादी कार्ड में तीन चीजें खास हैं। पहला यह कि इस शादी में सिर्फ ई-कार्ड द्वारा आमंत्रण भेजा गया है। आमंत्रित लोगों से उपहार नहीं लाने का आग्रह किया गया है। तीसरी खास बात यह है कि कार्ड में इस बात की घोषणा की गयी है कि शादी में दहेज नहीं लिया गया है।
जदयू के नीतीश के अभियान के ‘ब्रांड अंबेसडर’ बने भाजपा के सुशील
वीरेंद्र यादव
उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी जीएसटी से जुड़े मंत्रियों के समूह के अध्यक्ष भी हैं। जीएसटी की कई बैठकों में शामिल हुए और कारोबारियों को कई तरह की रियायत भी दिलवायी। कई वस्तुओं की जीएसटी दर में कटौती भी इनकी पहल पर की गयी। शादी समारोह में भी इस रियायत का असर दिखा। आज उनके आवास पर आयोजित प्रेस वार्ता में शादी कार्ड ही चर्चा का विषय बना रहा। इसी संदर्भ में श्री मोदी ने कार्ड के उपहार वाले ‘कॉलम’ में आमंत्रितों के लिए रियायत दी। उन्होंने कहा कि जिनका काम उपहार दिये बिना नहीं चल सकता है, वे दघीची देहदान समिति में दान कर सकते हैं। उसका वहां काउंटर भी खुला रहेगा। श्री मोदी ने कहा कि वे इस समिति के कार्यों को प्रोत्साहित कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार दघीची देहदान समिति एक कार्यक्रम में शामिल हुए थे।
प्रेस वार्ता में बात बारातियों के खान-पान पर पहुंची। उपमुख्यमंत्री ने कहा कि शादी का समय 3 दिसंबर को दोहपर बाद 3 से 5 बजे तक का है। लोग घर से खा-पीकर आएंगे। यह समय न खाने का होता है और न नाश्ता का। उपमुख्यमंत्री बारातियों के लिए ‘खान-पान’ को जीएसटी की भाषा में विलासिता की वस्तु समझ कर कोई भी रियायत देने को तैयार नहीं हुए। हालांकि प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कुछ पत्रकारों ने उपमुख्यमंत्री के अभियान को ब्राह्मणवाद और कर्मकांड के विरोध के रूप में भी व्याख्या की। अब यह इंतजार करना होगा कि कथित रूप से ‘ब्राह्मण-बनिया’ की पार्टी में ब्राह्मणवाद का विरोध कितनी दूर तक जाता है।