केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि सरकार अगले साल 01 अप्रैल से देश भर में समान कर व्यवस्था का प्रावधान करने वाले वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) अधिनियम लागू करने के लिए प्रतिबद्ध है और इसके लिए पूरे प्रयास किए जायेंगे। श्री जेटली ने नई दिल्ली में कहा कि जीएसटी लागू करना सरकार की प्राथमिकता है और इसके लिए तैयारी की जा रही है। हालाँकि, इसकी राह में चुनौतियाँ बहुत हैं और समय कम है।
जीएसटी से संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को आधे से अधिक राज्यों की सहमति मिलने के बाद कल राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी की मंजूरी मिल गई। इसके बाद अब विधेयक को अधिसूचित कर जीएसटी परिषद का गठन किया जाना है। इसमें केंद्रीय वित्त मंत्री और राज्य के वित्त मंत्री शामिल होंगे। यह परिषद संबंधित नियमों को अंतिम रूप देगी। जीएसटी परिषद कर की दर और केंद्र तथा राज्यों के बीच अधिकारों का भी निर्धारण भी करेगी।
श्री जेटली ने कहा कि नियमों को अंतिम रूप देने के लिए सितंबर, अक्टूबर और नवंबर का समय है। उन्होंने स्वीकार किया कि जीएसटी से संबंधित कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, लेकिन इन्हें सुलझा लिया जायेगा। उन्होंने कहा कि संबंधित विधेयक संसद के शीतकालीन सत्र में पारित किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से आम आदमी पर कर का बोझ नहीं बढ़ेगा। इससे केंद्र और राज्यों के लिए वित्त का प्रबंध होगा। एक सवाल के जवाब में वित्त मंत्री ने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था अभी बैंकों के निजीकरण के लिए तैयार नहीं है। इसके लिए लंबा समय लगेगा तथा अर्थव्यवस्था में और मजबूती की जरूरत है। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में बदलाव से पहले लोगों की सोच में बदलने की जरूरत है।