सरकार द्वारा संसद में आज पेश आर्थिक सर्वेक्षण में कहा गया है कि भारतीय विनिर्माण क्षेत्र अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्द्धा में उतनी प्रगति नहीं कर पाया है। इससे जीडीपी की तुलना में विनिर्माण निर्यात घटा है।
सर्वेक्षण में कहा गया है कि जीडीपी की तुलना में विनिर्माण निर्यात पिछले वित्त वर्ष के 8.7 प्रतिशत से घटकर चालू वित्त वर्ष में 8.2 प्रतिशत रहने का अनुमान है। विनिर्माण का व्यापार संतुलन भी 0.5 प्रतिशत ऋणात्मक से बढ़कर 1.5 प्रतिशत ऋणात्मक के करीब पहुँचने की संभावना है। जीडीपी में विनिर्माण का योगदान 2016-17 के लगभग 18 प्रतिशत से घटकर 17.8 फीसदी के करीब रह जाने का अनुमान है।
सर्वेक्षण में निर्यात करों में छुपे हुये करों को जल्द से जल्द समाप्त करने की सलाह दी गयी है जिससे विनिर्माण निर्यात बढ़ सके। इसमें ऐसे उत्पादों का उदाहरण दिया गया है जिन पर कच्चा माल पर कर की दर अंतिम उत्पाद पर कर की दर से ज्यादा होने के कारण निर्यातकों को पूरा इनपुट कर लाभ नहीं मिल पाता। इसमें कहा गया है कि चालू वित्त वर्ष की 30 सितंबर को समाप्त छमाही में निर्यात की वृद्धि दर में गिरावट आयी है जबकि आयात की वृद्धि दर में तेजी से बढ़ी है। यह अन्य उभरते हुये एशियाई देशों या वैश्विक औसत के विपरीत रुख है। हालाँकि, दिसंबर में समाप्त तीसरी तिमाही में निर्यात की विकास दर बढ़कर 13.6 प्रतिशत पर पहुँच गयी और आयात की वृद्धि दर घटकर 13.1 प्रतिशत रह गयी।