केंद्र, बिहार सरकार तथा विश्वबैंक ने आज 29 करोड डालर के ऋण समझौते पर हस्ताक्षर किये। इस समझौते का मकसद राज्य के 32 जिलों एवं 300 ब्लॉक में गरीब ग्रामीण परिवारों के लिये आजीविका अवसरों में सुधार लाना है। विश्वबैंक ने कल जारी एक बयान में कहा कि नई परियोजना 32 जिलों के 300 नये ब्लाक में लागू होगी। ये वे जिले होंगे जो पूर्व के चरण या राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका परियोजना में शामिल नहीं हुए। इसके साथ ही पूरा राज्य विभिन्न परियोजनाओं के दायरे में आ जायेगा।
बहुपक्षीय एजेंसी ने कहा कि ‘बिहार ट्रांसफार्मेटिव डेवलपमेंट प्रोजेक्ट’ यानी जीविका- दो के तहत ग्रामीण आबादी को स्वयं सहायता समूह तथा उच्चस्तरीय महासंघ के रुप में एकत्रित किया जाएगा और बाजार, सार्वजनिक सेवाओं तथा औपचारिक वित्तीय संस्थानों से वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में उनकी सहायता की जाएगी। बिहार सरकार 2007 से ही राज्य के छह जिलों के 42 ब्लाकों में गरीबी उन्मूलन के लिये विश्व बैंक समर्थित कार्यक्रम ‘बिहार ग्रामीण अजीविका परियोजना जीविका’ को चलाती रही है। जीविका-दो के इस कार्यक्रम के लिये ऋण समझौते पर भारत सरकार की तरफ से वित्त मंत्रालय में संयुक्त सचिव राजकुमार ने और बिहार सरकार की तरफ से ग्रामीण विकास विभाग में सचिव अरविंद कुमार चौधरी ने तथा विश्व बैंक के कार्यक्रम प्रमुख और कार्यवाहक कंटरी निदेशक जॉन ब्लॉमक्विस्ट ने हस्ताक्षर किये। यह ऋण विश्व बैंक की रियायती ऋण शाखा अंतरराष्ट्रीय विकास संघ (आईडीए) से दिया जायेगा, जिसकी वापसी 25 साल में करनी होगी। इसमें पांच साल की रियायती अवधि भी शामिल है।