गुरुवार को पटना स्थित होटल मौर्या में भाजपा की ओर से प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन किया गया था। मौका था घोषणा पत्र जारी करने का। इसके लिए पार्टी के वरिष्ठ नेता और केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली विशेष रूप से आए थे। पार्टी के अन्य वरिष्ठ नेताओं के साथ उन्होंने पार्टी का घोषणा पत्र जारी किया, जिसे पार्टी विजन डाक्यूमेंट का नाम दिया है। लेकिन इस मौके पर पार्टी प्रवक्ता व विधान पार्षद संजय मयूख की ‘मास्टरी’ से प्रेस वाले परेशान हो गए। हालांकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष मंगल पांडेय ने ‘मास्टरी’ को लेकर मयूख को संयम बरतने का निर्देश भी दिया।
वीरेंद्र यादव
अरुण जेटली द्वारा अपनी बात रखने के बाद पत्रकारों के प्रश्न पूछने का अवसर आया। लेकिन मंच से सवाल पूछने के लिए पत्रकार का नाम पुकारने पर लोग हतप्रभ रह गये। यह पहली बार हुआ था, जब किसी राजनीतिक कार्यक्रम में मंच संचालक पत्रकारों को गाइड लाइन दे रहा हो। थोड़ी देर में समझ में आ गया कि मंच पर बैठे संजय मयूख पत्रकारों का नाम सवाल पूछने के लिए पुकार रहे थे। बड़ी दुकानों के बड़े पत्रकार। ये चैनल वाले, ये प्रिंट वाले, ये नेशनल अखबार वाले। हद तो तब हो गयी, जब अरुण जेटली अपनी बात पूरी भी नहीं कर पा रहे थे, कि बीच में मयूख पत्रकार का नाम पुकार रहे थे। इससे स्थिति असहज हो रही थी। इसी बीच मंगल पांडेय ने मयूख को संयम बरतने को कहा। इसके बाद स्थिति थोड़ी सामान्य हुई तो पत्रकारों ने अपने प्रश्न पूछे। लेकिन असहज सवाल शुरू होने के साथ पत्रकार वार्ता समाप्त करने की घोषणा कर दी गयी।
प्रेस रिलीज वितरण में भी भेदभाव
मंच पर बैठे संजय मयूख कार्यक्रम के दौरान ही चेहरा देखकर पत्रकारों के पास घोषणा पत्र की कॉपी भेजवा रहे थे। बाकी को प्रेस वार्ता समाप्त होने का इंतजार करना पड़ रहा था। यही कारण था कि पीसी के बाद घोषणा पत्र की प्रति लेने के लिए अफरातफरी मंच गयी। इससे न केवल पत्रकारों को परेशानी हुई, बल्कि आयोजकों भी फजीहत झेलनी पड़ी।