राजद कोटे से राम जेठमलानी को राज्यसभा में भेजने के फैसले को पार्टी के वरिष्ठ नेता डा. एजाज अली ने पुरजोर तौर पर विरोध करते हुए सवाल खड़ा किया है कि एक सीट पर मुसलमान हक है जिस पर जेठमलानी को भेजना गलत है.
एजाज अली ने कहा कि राम जेठमलानी को राज्यसभा की उम्मीदवारी दे कर दलित मुसलमानों की हकमारी होती है. एजाज ने कहा कि रामजेठमलानी क्या इस बात की गारंटी लेते हैं कि वह लालू प्रसाद को चारा घोटाले से क्लीन चिट दिलवा देंगे.
उन्होंने नौकशाही डॉट कॉम से कहा कि अगर जेठमलानी गारंटी के साथ लालू यादव को क्लीन चिट दिलाने की जिम्मेदारी ले लें तो मुसलमान इस सीट की कुर्बानी देने को तैयार हैं. लेकिन अगर वह गांरटी नहीं देते तो मुसलमानों में इसका गलत मैसेज जायेगा. उन्होंने कहा कि मुसलमानों और यादवों ने संकट की घड़ी में राजद का साथ दे कर विधानसभा में जीत दिलवाई. ऐसे में राबड़ी देवी को राज्यसभा भेजने का फैसला सही है. इसी तरह दूसरी सीट पर मुसलमान का हक बनता है.
अपनी बेबाकी लिए जाने जाते हैं एजाज
डा एजाज अली बिहार में मुसलमानों के कद्दावर नेता है और ऑल इंडिया युनाटेड मुस्लिम मोर्चा के सरपरस्त भी हैं. इससे पहले एजाज अली जनता दल यू से राज्य सभा के सदस्य रह चुके हैं. लेकिन वह बाद में राष्ट्रीय जनता दल में शामिल हो गये थे. डा एजाज अली को उनकी स्पष्टवादिता के लिए जाना जाता है. नीतीश कुमार के साथ रहते हुए एजाज ने नीतीश कुमार से साफ कहा था कि वह भारतीय जनता पार्टी से नता तोड़ लें. हालांकि नीतीश कुमार ने उस वक्त उनकी बात नहीं मानी थी और एजाज अली को पार्टी से निलंबित कर दिया गया था. लेकिन दो सालों के बाद नीतीश ने खुद ही भाजपा से नाता तोड़ लिया था.
एक बार फिर राष्ट्रीय जनता दल में रहते हुए एजाज अली ने रामजेठलानी को राज्यसभा में भेजे जाने का जोरदार विरोध कर दिया है. डा. एजाज का कहना है कि 2015 के चुनाव में मुसलमानों ने किसी भी समुदाय से ज्यादा आक्रमक हो कर राजद-जजद यू गठबंधन को वोट दिया था. उन्होंने कहा कि यादव समाज के लोगों ने भी लालू प्रसाद का खुल कर समर्थन किया था ऐसे में राज्यसभा की सीट पर यादव और मुस्लिम की ही भागीदारी बनती है. एजाज ने कहा कि रामजेठमलानी वकील हैं और उनकी सेवायें फीस अदा करने पर मिलती है. लेकिन वोट जनता देती है ऐसे में वोट देने वाले समाज को राज्य सभा की नुमाइंदगी दी जानी चाहिए.
एजाज अली ने मार्च 2014 में तब राजद ज्वाइन किया था