पांच साल के कारावास की सजा होने से राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद 11 वर्ष तक चुनाव लड़ने के अयोग्य हो गए हैं लेकिन कुछ कानूनी विकल्प भी है उनके पास.बता रही हैं माला दीक्षित
सुप्रीम कोर्ट के नये फैसले के अनुसार सजा काटने के छह साल बाद ही कोई व्यक्ति चुनाव लड़ सकता है.
साथ ही उनकी सांसदी भी चली गई है. हाई कोर्ट या सुप्रीम कोर्ट अगर सजा के साथ उनकी दोषसिद्धि पर रोक लगा देता है या उन्हें बरी कर दिया जाता है तो वह चुनाव लड़ सकेंगे, लेकिन, सजा के कारण चली गई सांसदी नहीं लौटेगी.
अब लालू के पास उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने का विकल्प है। अगर वे अपील के साथ अर्जी देकर सजा और दोषसिद्धि दोनों पर रोक लगाने की गुहार लगाते हैं और अदालत इसे मान लेती है तो वह अपील लंबित रहने के दौरान भी चुनाव लड़ पाएंगे। भाजपा सांसद नवजोत सिद्धू के मामले में भी यही हुआ था.
सजा और अयोग्यता से जुड़ी जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8 कहती है कि अदालत से दोषी ठहराया गया सदस्य सजा पूरी कर जेल से बाहर आने के छह साल बाद तक चुनाव लड़ने के अयोग्य होगा. छह साल की यह अवधि सुनाई गई सजा की अवधि के साथ जोड़ कर देखी जाए तो लालू कुल 11 साल के लिए अयोग्य हो गए हैं.
अगर हाई कोर्ट उन्हें बरी कर देता है तो फैसले की तिथि से उनकी अयोग्यता समाप्त हो जाएगी, लेकिन सांसदी नहीं लौटेगी। अगर मामला सुप्रीम कोर्ट तक गया तो वहां भी यही फामरूला लागू होगा.
साभार दैनिक जागरण