मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने राज्य के गौरवशाली अतीत को फिर से प्राप्त करने की प्रतिबद्धतता व्यक्त करते हुये आज कहा कि आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय (विवि) ज्ञान के केंद्र के रूप में जाना जाये ताकि वह प्रदेश के इतिहास के प्रति सम्मान का प्रतीक बन सके।
श्री कुमार ने पटना में आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय के नवनिर्मित भवनों का उद्घाटन करने के बाद कार्यक्रम को संबोधित करते हुये कहा कि यह विश्वविद्यालय परंपरागत विश्वविद्यालय नहीं है, यह ज्ञान विश्वविद्यालय के रुप में जाना जाए। ज्ञान के रूप में सदियों तक इसकी पहचान बनी रहे। उन्होंने कहा कि अवधारणा के अनुसार यहां शिक्षा के कार्यक्रम चलाए जाएं। यहां शिक्षा के क्षेत्र में विशिष्ट काम हों ताकि एक मिसाल कायम हो सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि बिहार के गौरवशाली अतीत को फिर से प्राप्त करने की मेरी इच्छा है। मुझे विश्वास है कि नई पीढ़ी के लोग इन सब चीजों पर मन से सोचेंगे और इसके लिए सार्थक प्रयास भी करेंगे। आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय ज्ञान का केंद्र बने, जो बिहार के इतिहास के प्रति सम्मान एवं ज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता का प्रतीक बने। मैं चाहता हूं कि जैसा यह भवन सुंदर दिख रहा है, वैसी ही इसकी भूमिका भी हो। श्री कुमार ने कहा कि बिहार का गौरवशाली इतिहास रहा है। यह भगवान बुद्ध के ज्ञान की भूमि है, भगवान महावीर के जन्म, ज्ञान एवं निर्वाण की भूमि है। चाणक्य ने यहां अर्थशास्त्र की रचना की थी। पंद्रह सौ वर्ष पहले आर्यभट्ट ने यहीं खगौल एवं तारेगना को अपना कर्मक्षेत्र बनाया। उन्होंने गणित और खगोल विधा पर काम किया। पृथ्वी के व्यास की जानकारी दी, शून्य का आविष्कार भी किया। उन्हीं के नाम पर इस विश्वविद्यालय का नामकरण आर्यभट्ट ज्ञान विश्वविद्यालय किया गया है।