मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने विश्व में लोकप्रिय अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल राजगीर को ऐतिहासिक स्थल बताया और कहा कि आने वाले समय में यहां ज्ञान, संस्कृति, दर्शन का ऐसा केंद्र बनेगा, जहां प्राचीन परंपराओं का आदान-प्रदान होगा। श्री कुमार ने आज रत्नागिरी पर्वत पर विश्व शांति स्तूप के 49वें वार्षिकोत्सव समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि पहले विश्व शांति स्तूप की स्थापना राजगीर में की गई है। यहां गृद्धकूट पर्वत है।
बोधगया में ज्ञान प्राप्ति के पूर्व राजगीर में सिद्धार्थ के रूप में बुद्ध यहां आए थे। ज्ञान प्राप्ति के बाद भी बुद्ध राजगीर आते थे और यहां वेणुवन में निवास करते थे। यहीं गृद्धकूट पर्वत पर उपदेश दिया करते थे। यह अपने आप में ऐतिहासिक जगह है। यहां से भगवान महावीर का भी संबंध रहा है। मखदूम साहब, गुरुनानक साहब भी यहां आए थे। हिंदू धर्म का यहां लगने वाला मलमास मेला अपने आप में प्रसिद्ध है।
मुख्यमंत्री ने कहा, “वर्ष 1969 में राजगीर में फुजी गुरुजी की परिकल्पना के अनुरूप तत्कालीन राष्ट्रपति वी. वी. गिरि ने इसका उद्घाटन किया था। उस समय राजगीर में बड़े सम्मेलन का आयोजन किया गया था, जिसमें आचार्य विनोबा भावे, लोकनायक जयप्रकाश नारायण जैसे लोगों ने भी हिस्सा लिया था।” श्री कुमार ने कहा कि फुजी गुरुजी का राष्ट्रपिता महात्मा गांधी से बेहतर संबंध था। आजादी की लड़ाई के दौरान वे गांधी जी से मिले थे। राष्ट्रपिता के अहिंसक तरीके से आजादी की लड़ाई से वे काफी प्रभावित थे। वर्ष 1917 में बापू चंपारण आए। उन्होंने निलहों पर हो रहे अत्याचार से मुक्ति दिलायी। गांधी जी का देश में प्रभाव इतनी तेजी से बढ़ा कि चंपारण सत्याग्रह के 30 वर्षों में ही देश को आजादी मिल गई। हाल ही में जापान यात्रा के दौरान भारत के राजदूत ने बताया कि गांधी जी के तीन बंदर- बुरा मत देखो, बुरा मत बोलो, बुरा मत सुनो का आईडिया फुजी गुरु जी ने ही दिया था। यह शांति, अहिंसा एवं सद्भाव को दर्शाता है।