बिहार के राजनीतिक गलियारे में यह सवाल आम तौर पर पूछा जा रहा है कि विधायकों को आवास नहीं मिल रहा है। मंत्री बंगला तलाश रहे हैं। फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सीएम आवास एक अण्णे मार्ग में क्यों नहीं जा रहे हैं। इसके अलग-अलग मायने तलाशे जा रहे हैं।
वीरेंद्र यादव
पिछले वर्ष फरवरी में सत्ता में वापस आने पर माना जा रहा था कि विधान सभा चुनाव के बाद यदि सत्ता में वापस आए तो नीतीश कुमार एक अण्णे मार्ग में जा सकते हैं। शपथ ग्रहण के दिन 20 नवंबर को टी-पार्टी का आयोजन भी एक अण्णे मार्ग किया गया था। इससे उम्मीद बढ़ी थी कि नीतीश कुमार अण्णे मार्ग में आने की तैयारी कर रहे हैं। लेकिन अब स्पष्ट हो गया है कि वे सीएम हाउस में रहने नहीं जाएंगे। इसके साथ ही एक अण्णे मार्ग ही सीएम आवास के रूप में बना रहेगा।
शुभ होने का दावा
इधर नीतीश कुमार के करीबी सूत्रों की मानें तो ज्योतिषी के परामर्श पर उनका सात नंबर के प्रति मोह बढ़ गया है। एक ज्योतिषी ने उन्हें सलाह दी है कि सात नंबर आपके लिए शुभ है। यही कारण है कि सीएम हाउस जीतनराम मांझी को सौंपने के बाद उन्होंने सात नंबर में जाने का फैसला लिया था। कुछ दिन दो एम स्ट्रेंड रोड में रहे थे। इसके बाद सात नंबर सर्कुलर रोड में चले आए थे।
जबरदस्त डेकारेशन
पूर्व सीएम के रूप में उन्होंने सात नंबर को खूब सजाया। बढि़या डेकारेशन करवाया। पेड़ भी खूब लगाए गए। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए गए। नया कंस्ट्रक्शन भी हुआ। देखते ही देखते मनमोहक व आकर्षक कोठी बन गया सात नंबर। इसका मोह सीएम नीतीश कुमार नहीं छोड़ पा रहे हैं। सात नंबर की अपनी सत्ता। जिस गाड़ी से नीतीश कुमार चलते हैं वह भी सात नंबर की है। यही वजह है कि नीतीश कुमार अब सात नंबर को स्थायी रूप से अपना निवास बना लेना चाहते हैं। नया सीएम बना तो अण्णे मार्ग में जाएगा, अन्यथा दीवार की सुरक्षा में जुटे रहेंगे पुलिस के जवान।
सात नंबर का किराया कितना है
अब सवाल यह भी उठ सकता है कि जब सीएम मुख्यमंत्री आवास के बाहर सरकारी आवास में रह रहे हैं तो उस आवास का उन्हें सरकार द्वारा निर्धारित दर पर किराया भी भुगतान करना होगा। अन्यथा वह अवैध कब्जा ही माना जाएगा। इस संबंध में जानकारी हासिल करने की कोशिश की, लेकिन सीएमओ से कोई उत्तर नहीं मिल पाया।
(तस्वीर सात सर्कुलर रोड की: फोटो जर्नलिस्ट रंजन राही के सौजन्य से)
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