हटिया से चलकर पटना आने वाली ट्रेन में बीती रात चार बार आग लगी, लेकिन कोच अटैंडेंट की सूझ बूझ से खतरा टल गया.
विनायक विजेता
18626 डाऊन हटिया-पटना एक्सप्रेस गुरुवार की रात बर्निंग ट्रेन बनने से बची। इस ट्रेन के एसी थ्री कोच वाले बोगी संख्या 138129 के चार चक्कों में थोड़ी दूर चलने पर बार बार आग लगती रही और बुझाया जाता रहा। इस बोगी में सवार यात्रियों के अनुसार यह हादसा ट्रेन के मूरी जंक्शन से खुलने के तुरंत बाद शुरु हुआ। पहली बार तो आग पर आग निरोधी यंत्र से काबू पा लिया गया पर ट्रेन जैसे ही कुछ दूर आगे बढ़ी उसके चक्कों में फिर से आग लगनी शुरु हो गई जिससे यात्रियों में हड़कंप मच गया और कोच अडेंडेंट ने गाड़ी रुकवायी।
फिर किसी तरह आग पर काबू पाकर जाम हुए चक्कों को ठीक कर गाड़ी आगे बढ़ायी गई पर कोटशिला आते-आते इन चक्कों में एक बार और आग लगी। कोटशिला स्टेशन पर एक बार फिर से चक्कों की मरम्मति कर गाड़ी को फिर आगे बढ़ा दिया गया। पर कुछ किलाममीटर बाद बियावान जंगलों से गुजरते वक्त इन चक्कों में एक बार फिर से भयानक आग लग गई। अंतिम बार लगी आग की भयावता इतनी थी कि कोच के गेट और उसके हैंडिल तक गरम हो गए।
उसके बाद कोच अडेंटेंट आशीष रंजन यात्रियों में छाए दहशत ने ट्रेन रुकवा बिना मरम्मति के आगे यात्रा करने से इनकार कर दिया। इसके बाद रात साढ़े दस बजे रांची से पटना के लिए आने वाली पाटलिपुत्रा एक्सप्रेस से लगभग दस इंजीनियर और मैकनिकों को भेजा गया जो इन चक्कों की मरम्मति कर गया तक इस ट्रेन में इस आशंका में साथ ही रहे कि कहीं फिर से चक्का जाम होकर उसमें आग न लग जाए। बताया जाता है कि हटिया-पटना एक्सप्रेसके चक्कों में लगी आग को बुझाने में ट्रेन में लगे आधा दर्जन आग निरोधी स्टीमेचर का सहारा लिया गया। इस घटना के कारण यह ट्रेन अपने नियत समय से साढ़े चार घंटे लेट हो गई और शुक्रवार को करीब सवा दस बजे सुबह पटना जंक्शन पहुंची.