मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की नजर में 53 विधायक वाले इंजन के मुखिया सुशील मोदी की कोई अहमियत नहीं है, जबकि नीतीश अपने सबसे विरोधी लालू यादव को सिर आंखों पर बैठा कर रखते हैं। नीतीश अपनी ही सरकार के ‘जूनियर सीएम’ सुशील मोदी को आज रात 9.40 बजे तक ट्विटर पर फॉलो नहीं किया है, जबकि लालू यादव को काफी पहले से फॉलो कर रहे हैं। हालांकि सीएम के फॉलोइंग लिस्ट में नेता से ज्यादा पत्रकार शामिल हैं।
सोशल मीडिया कैंपेन पर सान चढ़ाने के लिए ढाई करोड़ का ठेका
माइलेज पाने के लिए लालू को रखा टारगेट पर
वीरेंद्र यादव
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की ट्विटर पर अचानक बढ़ी सक्रियता सबको चौकाने वाली है, लेकिन उससे भी बड़ी बात यह है कि नीतीश भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी फॉलो नहीं करते हैं। ट्विटर पर नीतीश कुमार जिन लोगों को फॉलो करते हैं, उनकी संख्या अभी सिर्फ 145 है। दरअसल ट्विटर पर लालू यादव, तेजस्वी यादव और सुशील मोदी के बीच छिड़ी जंग में नीतीश कुमार खुद को मैदान से बाहर समझने लगे थे। उनका ट्विटर एकांउट आईपीआरडी की प्रेस रिलीज बन कर रह गया था।
दो प्रमुख दलों के नेताओं की ‘गलथेथरी’ में खबरों में जदयू पर भाजपा लीड लेने लगी थी। यह 71 विधायक वाले इंजन को नागवार गुजर रहा था। इसलिए मुख्यमंत्री ने खुद मोर्चा संभालने का निर्णय लिया। मुख्यमंत्री सूचना और जनसंपर्क विभाग के प्रभारी मंत्री खुद हैं। विभाग में ढाई करोड़ रुपये में सोशल मीडिया कैंपेन के लिए एक कंपनी को हायर किया है। यही कंपनी झारखंड सरकार के सोशल मीडिया का काम भी देखती है। ट्विटर पर सीएम के ‘पुअर परफार्मेंस’ को मजबूत बनाने का काम में कंपनी जुट गयी है। कंपनी ने अपने प्रांरभिक दो ट्विट में लालू यादव को टारगेट किया। इसके बाद ट्विट पर कमेंट और रिट्यूट की आंधी आ गयी। संभव है नीतीश की फॉलोइंग लिस्ट में बिहार के कई और नेताओं का नाम जुड़ जाए, लेकिन फिलहाल सुशील मोदी अभी इस लिस्ट से बाहर ही हैं।