उत्तर भारत में कड़ाके की ठंड पड़ रही है, जिससे यहां का जन जीवन बुरी तरह प्रभावित है। मौसम विभाग के अनुसार इस बार ठंड का असर गहरा है। गरीबों की हालत ऐसी कि ठंड का कहर भी और कमाई पर आफत भी.
अनिता गौतम, पॉलिटिकल एडिटर
सूर्य की धूंधली किरणों वाला दिन और ठंड की चपेट में रात, यही रोजमर्रा की जिन्दगी बनी हुई है।
हर बार की तरह इस बार भी ठंड गरीबों के लिए कोढ़ में खाज साबित हो रहा है। सबसे बुरी स्थिति रैन बसेरों में निवास करने वाले लोगों की है। सर्द हवाओं के थपेड़े से इनकी कंपकंपी छूट रही है। ठंड को भगाने के लिए इन लोगों ने पुआल का बिस्तर बना रखा है, साथ ही पुआल को जलाकर अपने बदन को भी थोड़ी गर्मी देने की कोशिश कर रहे हैं।
फटे पुराने कंबलों के सहारे रैन बसेरा में रहने वाले लोगों के लिए रात काटना मुश्किल होता है। इन्हें इस बात का मलाल है कि सरकार की ओर से ठंड से निजात दिलाने के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं किया गया है। किसी तरह पुआल और लकड़ियां एकत्र कर ये ठंड को भगाने की कोशिश कर रहे हैं और सरकार को कोस करे हैं। रैन बसेरा में रहने वाले अधिकतर लोग रिक्शा चलाते हैं।
कड़ाके की ठंड की वजह से अब इन्हें सड़कों पर सवारी भी नहीं मिल रही है। ऐसे में सारे रिक्शे यूं ही खड़े हैं। लेकिन रिक्शे वालों को इनका रोज का किराया रिक्शा मालिकों को देना पड़ रहा है। कड़ाके की ठंड ने इनकी कमाई को पूरी तरह से ठप कर दिया है, ऊपर से रिक्शे का किराया इनकी जेब पर भारी पड़ रहा है।
बुरा हाल
ठंड का सबसे बुरा प्रभाव परिवहन पर पड़ा है। आवागमन की सारी व्यवस्थाओं को लकवा मार मार गया है। लोग अपने गंतव्य तक पहुंचने के लिए ठंड में कंपकपांते हुये घंटों गाड़ियों का इंतजार कर रहे हैं।
बिहार में विभिन्न रेलवे स्टेशनों पर ट्रेनों का इंतजार करते हुये लोग कंपकपी से बचने के लिए अलाव का सहारा ले रहे हैं। प्लेटफार्म पर आग की व्यवस्था लोगों ने खुद से ही की है । ठंड में आगे की यात्रा कैसे होगी इन्हें नहीं पता, लेकिन फिलहाल आग की गर्मी से थोड़ी राहत मिलने पर ही ये संतुष्ट है।
कड़ाके की ठंड से रेल आवागमन भी ध्वस्त है। सभी ट्रेने अपने निर्धारित समय से काफी लेट चल रही हैं। अलग अलग स्थानों पर ट्रेनों को घंटों रुकना पड़ रहा है। पटना रेलवे स्टेशन पर स्थित पूछताछ कांउटर पर तो ट्रेनों की जानकारी लेने के लिए लोगों की अच्छी खासी भीड़ लगी हुई है। ट्रेन प्लेटफार्म पर कब आएगी इस संबंध में विश्वास के साथ कुछ बता पाने में रेलवे कर्मचारी भी असमर्थ हैं।
शराबियों को तो जैसे ठंढ का इंतजार ही रहता है। पीने पिलाने का इससे बेहतर मौसम और कोई हो ही नहीं सकता। ऐसे में शराब की बिक्री में उछाल तो होना ही है। पीने वालों को पीने का बहाना चाहिये और पीने के लिए ठंड से अच्छा कोई और बहाना हो ही नहीं सकता। शराब की दुकानों में वैसे तो तमाम तरह के ब्रांड हैं लेकिन रम की बिक्री सबसे ज्यादा हो रही है। इसके अलावा लोग ब्रांडी भी खूब पी रहे हैं। हां, बीयर की ब्रिक्री थम सी गई है।