फ्रेजर रोड के एलआइसी कार्यालय से एसकेएम तक हर जगह कर्फ्यू का नजारा। सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम में बीच लोग सड़कों किनारे बंधक बने रहे। जो जहां था, वहीं प्रधानमंत्री के पटना छोड़ने का इंतजार कर रहा था। सड़कों के किनारे बहुत सारे लोग प्रधानमंत्री के काफिले को देखने का इंतजार कर रहे थे। सुरक्षा बंदोबस्त देखेते हुए हमने साइकिल एलआइसी बिल्डिंग में खड़ी की और पैदल ही चल दिए।
वीरेंद्र यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख, नौकरशाहीडॉटइन
दोहपर के करीब 11.40 हो रहे होंगे। गले में प्रेस पास देखकर पुलिस वाले भी कुछ नहीं बोल रहे थे। एसपी वर्मा रोड के पास एक पुलिस कर्मी ने बुलाया और पास देखकर कहा कि बगल वाली राह पकड़ लीजिए। हम एसपी वर्मा रोड से गांधी मैदान की ओर बढ़ रहे थे। सड़कों पर कोई चलता हुआ नजर नहीं आ रहा था। हर चौराहे पर बैरियर लगा दिया गया था। बैरियर को पास करने की कोई इजाजत नहीं थी। गांधी मैदान में किसी के लिए भी प्रवेश वर्जित था। हम दायीं यानी मौर्या होटल के साइट से चले जा रहे थे। सड़कों पर खड़ी और फंसी भीड़ में अकेला हम ही थे, जो चल रहे थे। हर 20-22 कदम पर पुलिस का जवान। दूर से घूरता और नजदीक आने के बाद पास देखकर साइड हो जाता।
तेज धूप के बीच हम से तेजी से भागे जा रहे थे। तस्वीर के लायक कई दृश्य आखों के सामने थे। तस्वीर उतारने की ललक हो रही थी। लेकिन एसकेएम पहुंचने की हड़बड़ी थी। घेराबंदी कालीमंदिर तक थी। उस को पार करते हुए एसकेएम के दूसरे गेट से परिसर में पहुंचे।
दरवाजों के बीच झुलते रहे
एसकेएम में मीडियावालों की इंट्री किस दरवाज से है। यह किसी को पता नहीं था। हम गेट नंबर तीन पर गए तो कहा गया कि चार पर जाइए। चार पर गए तो कहा कि एक पर जाइए और एक गए तो कहा गया कि तीन पर जाइए और तीन पर दुबारा गये तो सुनने को मिला इस गेट से प्रवेश नहीं है। हम दुबारा गेट नंबर चार पर गए, लेकिन वहां से भी प्रवेश नहीं मिला। अब हम निराश हो गए थे और लगा कि हॉल में नहीं घुस पाएंगे।
हमने अंतिम कोशिश की सोचा और पहुंच गया मेन गेट पर यानी जिस रास्ते से पीएम को जाना था। यह गेट एसएसपी कार्यालय की ओर वाला है। हम वहां पहुंचे तो देखे सीएम नीतीश कुमार और कृषिमंत्री राधामोहन सिंह पीएम का इंतजार कर रहे थे। हम मोबाइल कैमरा ओपन करते कि पीएम का काफिला पहुंच गया। इस दौरान हमने देखा के दो छायाकार पीएम की तस्वीर उतार रहे हैं। हम भी उनके पीछे हो लिए। पीएम के पहुंचने के बाद प्रशासनिक सक्रियता बढ़ गयी थी। सीएम पीएम के कार से निकलने का इंतजार ही कर रहे थे कि हम पीएम पार्टी के छायाकारों के साथ पीएम से आगे दरवाजे की ओर बढ़ लिए। दरवाजे की ओर बढ़ते पीएम की तस्वीर उतारी। दुबारा क्लिक करने का मेरे पास वक्त नहीं था। हालांकि मोबाइल हिलने के कारण तस्वीर अच्छी नहीं बन पायी।
सबसे बड़े सुरक्षा घेरे में
पीएम के आगे हॉल में प्रवेश करने के बाद हम देश के सबसे बड़े सुरक्षा घेरे में पहुंच गए थे, जिस इलाके में सिर्फ वीआईपी लोगों के लिए पास निर्गत किए गए थे। इसमें कुछ कुर्सियां खाली पड़ी थी। कुछ पीछे की लाइन में हम भी बैठ गए। मंच के नीचे डी ब्लॉक को खाली रखा गया था। इसमें सिर्फ पीएम पार्टी के दो-तीन छायाकार ही जा पाए थे। हम उनके साथ डी ब्लॉक में नहीं जा पाए, इसलिए रुक जाना पड़ा। अपनी कुर्सी पर बैठे-बैठे देखा कि पहली पंक्ति में दो कुर्सियां खाली पड़ी हुई हैं। चूंकि प्रधानमंत्री आ चुके हैं, इसलिए अब कोई आने वाले भी नहीं थे। हम झट से उठे और अगली पंक्ति की कुर्सी पर जाकर बैठ गए। अब हम फोटो और खबरों के लिहाज से सेफ जोन में आ गए थे। डी ब्लॉक उस कुर्सी के दो-तीन कदम पर था, लेकिन अब उसमें जाने की रुचि नहीं बची थी। इसी कुर्सी पर बैठकर हम खबर लिखते रहे और वीडियो बनाने में भी आसानी हो रही थी।
गया डी ब्लॉक में
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भाषण समाप्त होने के बाद यह तय हो गया था कि दो-एक में मिनट में प्रधानमंत्री बाहर निकले वाले हैं। हम झट से डी ब्लॉक में उतरे और जाते-जाते कुछ तस्वीरें लीं। इसके तुरंत बाद हम हॉल से बाहर निकले ताकि कुछ बाहर की तस्वीर बना ली जाए। लेकिन तब तक प्रधानमंत्री की गाड़ी तैयार हो गयी और हम वीआईपी गाडि़यों के बीच आ गए थे। इस दौरान सुरक्षा कारणों से तस्वीर बनाना संभव नहीं हो सका। हालांकि इस दौरान छायाकार अरुण अभि ने पीएम और सीएम की बातचीत करते हुए कई तस्वीर ली और मैं चुपचाप देखने के अलावा कुछ नहीं कर सकता था। देखते-ही देखते प्रधानमंत्री का काफिला निकला और फिर राज्यपाल और मुख्यमंत्री भी प्रस्थान कर गए। इसके बाद हम भी एसकेएम से बाहर निकल लिए, इस पीड़ा के साथ कि हम पसीने से लथपथ अपने चेहरे की तस्वीर नहीं उतार सके।
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