एक शराब व्यवसायी से दस करोड़ रुपए घूस मांगने या उसे बर्बाद करने की घमकी देने वाले सारण के डीआईजी आलोक कुमार बिचौलिया उमेश सिंह विधान पार्षद संजय सिंह का साला है.
विनायक विजेता की रिपोर्ट
कभी लोजपा प्रमुख रामविलास के निकट सहयोगी रहे संजय सिंह बाद के दिनों में जदयू में शामिल हो गए जिसके बाद उन्हें फिर से जदयू ने विधान पार्षद के साथ पार्टी में अहम पद दिया.
इस संदर्भ में पूछे जाने पर संजय सिंह ने यह स्वीकार किया कि उमेश सिंह उनका साला जरूर है पर परिवार के लोग भी उससे त्रस्त हैं. उसने उनके ससुर से ही किसी काम कराने के नाम पर लाखों रुपए ले रखे हैं.
संजय सिंह ने उमेश सिंह को अपना चचेरा साला बताते हुए कहा कि उनकी उमेश के कारनामों के कारण ही उससे नहीं पटती और बीते दो वर्षों से उससे कोई बातचीत नहीं हुई.
इधर डीआईजी आलोक कुमार मामले में एक अन्य आरोपित दीपक अभिषेक के बारे में पता चला है कि वह कथित रुप से पत्रकार है और पटना से ही किसी समाचार पत्र का प्रकाशन करता है. दीपक मूल रुप से नालंदा का निवासी बताया जाता है.
10 करोड़ रुपए घूस के मामले को तूल पकड़ने के बाद सारण के डीआईजी ने हाथ-पांव मारना शÞुरु कर दिया। सूत्रों के अनुसार डीआईजी आलोक कुमार ने रविवार को रात करीब 8 बजे राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद को फोन कर यह सफाई दी कि उनके खिलाफ शिकायत करने वाले टुन्ना जी पांडेय के खिलाफ दुष्कर्म की शिकायत थी जिसकी उन्होंने जांच के आदेश दिए थे उसी को लेकर उनके खिलाफ षड्यंत्र रचा गया पर लालू प्रसाद ने डीआईजी को किसी तरह की मदद से यह कहकर इनकार कर दिया कि अगर आपके खिलाफ पर्याप्त सबूत हैं और आपने अगर गलत किया है तो मैं इसमें क्या मदद कर सकता हूं.
बहरहाल डीआईजी और लालू प्रसाद के बीच और क्या बात हुई इसकी पुष्टि नहीं हो सकी है पर राजद सुप्रीमों के कई करीबीयों ने इस बात की पुष्टि की है कि आरोपित डीआईजी ने राजद सुप्रमो से रविवार की रात बात की जहां से उन्हें निराशा ही