रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) के प्रमुख अविनाश चंद्र को अचानक पद से हटाये जाने के बाद उठे विवाद पर स्थिति स्पष्ट करते हुए कहा कि खुद उन्होंने ही श्री चंद्र को पद से हटाने की सिफारिश की थी। श्री चंद्र को उनका अनुबंध समाप्त होने से 16 महीने पहले ही कल पद से हटा दिया गया था। श्री पर्रिकर ने कहा कि उनका मानना है कि डीआरडीओ के प्रमुख के पद पर किसी युवा को होना चाहिए और इस पद पर अनुबंध के आधार पर नियुक्ति नहीं होनी चाहिए।
इस बीच, नौसेना प्रमुख आर के धवन ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि यह सरकार का निर्णय है। उन्होंने कहा कि नौसेना का डीआरडीओ के साथ अच्छा तालमेल है और हम आत्मनिर्भर बनने तथा प्रगति के मार्ग पर बढ़ रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता वाली केन्द्रीय मंत्रिमंडल की नियुक्ति समिति ने कल श्री चंद्र को पद से हटाने का निर्णय लिया। उन्हें अनुबंध समाप्त होने से 15 महीने पहले ही पद से हटाया गया है।
सरकार द्वारा श्री चंद्र को इस निर्णय की सूचना नहीं दिये जाने से अटकलों का दौर शुरू हो गया और इस निर्णय पर सवाल उठने लगे थे। रिपोर्टों के अनुसार जब श्री चंद्र से इस बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि मेरा अनुबंध समाप्त करने का निर्णय सरकार का है, लेकिन मुझे इस बारे में कोई संकेत नहीं मिले थे। श्री चंद्र आज भी हर रोज की तरह कार्यालय आये। डीआरडीओ के सूत्रों के अनुसार उन्हें सरकार के निर्णय की लिखित जानकारी नहीं मिली है।
श्री चंद्र का कार्यकाल मई 2016 तक था लेकिन सरकार ने इससे पहले ही उन्हें हटाने का निर्णय लिया है। वह पिछले वर्ष नवम्बर में सेवानिवृत्त हो गये थे और सरकार ने उन्हें अनुबंध के आधार पर 18 महीने तक पद पर बने रहने की मंजूरी दी थी।