पटना के डीएवी स्कूल की छात्रा प्रिया रॉय के गुम होने, मिलने और इससे जुड़ी धोखाधड़ी के बीच अगर इस स्कूल प्रबंधन के पिछले रिकार्ड को देखें तो पता चलता है कि कमीशन के चक्कर में स्कूल को अब तक 4 करोड़ रुपये का चूना लग चुका है.
विनायक विजेता, पटना से
डीएवी स्कूल का विवादों से पूराना रिश्ता रहा है। मोटे कमीशन के चक्कर में 2008 में तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक एन डी ग्रोवर व डीएवी खगौल के तत्कानीन प्राचार्य यू के राय (दोनों अब स्वर्गीय) ने तीन जमीन दलालों को फर्जी जमीन बेचे जाने के नाम पर 4 करोड़ 20 लाख 90 हजार 953 रुपये का भूगतान कर दिया था।
डीएवी स्कूल इन दिनों विवादों में है. क्योंकि पिछले दिनों प्रिय रॉय नामक स्कूल छात्रा के अचानक गायब होने के बाद जब पुलिस ने इसमें तफ्तीश की तो पता चला कि प्रिया को 12वीं बोर्ड परीक्षा में शामिल होने के लिए मोटी रकम मांगी गयी नहीं तो उसे परीक्षा में शामिल न होने पर मजबूर किया गया. प्रिया जब पुलिस के सामने इस सच्चाई को कुबूल की तो पुलिस के होश उड़ गये और इस मामले में स्कूल के प्रिस्पल और अन्य अफसरों के खिलाफ केस दर्ज हुआ है.
ऐसे में डीएवी मैनेजमेंट का पिछला रिकार्ड बताता है कि वहां धोखा और लूट का खेल वर्षों से जारी है.
दलालों के चंगूल में
डीएवी खगौल व शास्त्री नगर को अपने अपने स्कूल के विस्तार के लिए 5 एकड़ जमीन की जरुरत थी। दानापुर के तीन और फर्जी जमीन दलालों ने डीएवी खगौल के बगल में ही स्थित 5 एकड़ जमीन डीएवी प्रबंधन को दिखाया। कमीशन के चक्कर में जमीन के असली कागजात देखे बिना ही तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक और प्राचार्य ने इन तीनों दलालों को 4 करोड़ 20 लाख 90 हजार 953 रुपये का भूगतान कर दिया।
इन दलालों ने 17 किसनों के नाम पर फर्जी सेल डीड बनवाकर स्कूल प्रबंधन को सौंप दिया था। प्रबंधन ने जब इन रुपयों का भूगतान कर जमीन पर बाउंड्री देने के लिए उस जमीन पर ईंट बालू और अन्य सामग्रिया गिरवायी तब इस जमीन के वास्तविक मालिक और किसान सामने आए और उन्होंने यह कहते हुए निर्माण कार्य रोक दिया कि उन्होंने अपनी कोई जमीन किसी को नहीं बेची है।
तब डीएवी प्रबंधन ने इस मामले में अजय कुमार सिंह, अरविंद कुमार व उपेन्द्र कुमार सहित कइ्र लोगों पर आई्रपीसी की धरा 420, 467, 471 व 120बी के तहत धेखधड़ी और जालसाजी को आरोप लगाते हुए खगौल थाना में 14 मार्च 2009 को प्राथमिकी (29/2009) दर्ज करायी।
बाद में पुलिस ने जालसाज अजय कुमार सिंह, अरविंद कुमार व उपेन्द्र कुमार को गिरफ्तार कर लिया। इसके साथ पुलिस सूरज नामक उस युवक को भी गिरफ्तार किया जिसने 9 फर्जी लोगों की तस्वीर चिपकाकर फर्जी सेल डीड तैयार करवाया था। इस मामले में गिरफ्तार किए गए अजय कुमार सिंह, अरविंद कुमार व उपेन्द्र कुमार की ओर से हाकोर्ट में अलग-अलग दायर की गई अग्रिम जमानत याचिका क्रीमिनल मिसलेनियस केस नंबर 21000/2009, 41336/2009 व 44220/2009 पर एक साथ सुनवाई करते हुए तत्कालीन जस्टीस विरेन्द्र प्रसाद वर्मा ने इस मामले में सबसे ज्यादा दोषी तत्कालीन क्षेत्रीय निदेशक एनडी ग्रोवर और तत्कालीन प्राचार्य यू के राय को दोषी पाया।
अपने फैसले में हाइकोर्ट ने अभियुक्तों की यााचिका तो खारिज की ही यह भी टिप्पणी भी की कि पूरे माले में प्राचार्य और क्षेत्रीय निदेशक की भूमिका संदेहास्पद है। डीएवी को आजतक वो रुपये वापस नहीं मिल सके जबकि इस मामले में संदेह के घेरे में आए तत्कालीन क्षेत्रिय निदेशक एन डी ग्रोवर व डीएवी खगौल के तत्कानीन प्राचार्य यू के राय स्वर्गवासी भी हो गए।