उच्चतम न्यायालय ने 1993 में मुम्बई बम धमाकों के दोषी याकूब अब्दुल रज्जाक मेमन की फांसी का रास्ता साफ करते हुए डेथ वारंट के खिलाफ उसकी अपील आज खारिज कर दी। न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा, न्यायमूर्ति पी सी पंत और न्यायमूर्ति अमिताभ राय की खंडपीठ ने सभी सम्बद्ध पक्षों की दलीलें सुनने के बाद याकूब की रिट याचिका खारिज कर दी।
न्यायालय ने कहा कि आतंकवाद एवं विध्वसंक गतिविधि कानून (टाडा) की विशेष अदालत द्वारा जारी डेथ वारंट में कोई प्रक्रियागत खामी नहीं है, इसलिए याचिकाकर्ता की अपील निरस्त की जाती है। खंडपीठ ने याकूब की संशोधन याचिका के निपटारे में हुई प्रक्रियागत खामी की दलील को भी दरकिनार कर दिया।
गौरतलब है कि डेथ वारंट की अपील की सुनवाई के दौरान पूर्ववर्ती खंडपीठ के एक सदस्य ने सुधार याचिका की सुनवाई में प्रक्रियागत खामियों का उल्लेख किया था। बाद में महाराष्ट्र सरकार के वकील शिवपति पांडेय ने अदालत परिसर में संवाददाताओं को बताया कि याकूब को कल फांसी दिये जाने या नहीं दिये जाने का मसला कार्यपालिका के अधिकार क्षेत्र में है और वही इस पर निर्णय करेगी।