ये हैं पूर्वी चम्पारण ढ़ाका के विधायक. उनपर अपने ही गांव में साम्प्रदायिक माहौल बिगाड़ने का आरोप है. हालत यह है कि वहां पुलिस कैम्प कर रही है. इन सवालों पर देखिए वह कैसी बात करते हैं.
जिले के ढ़ाका के निर्दलीय एमएलए पवन जायसवाल के पैतृक गांव फुलवरिया के कब्रिस्तान में अष्टयाम का आयोजन कराया गया जिससे दशकों से शांत इस गांव में साम्प्रदायिक तनाव बढ़ गया. लोकल लोगों ने जायसवाल पर आरोप लगाया है कि वह दो समुदायों के बीच तनाव बढ़ा कर वोट हसोतने के लिए हिंदू-मुस्लिम डिवाइड कराने के फिराक में हैं. इस मामले पर पिछले दिनों नौकरशाही डॉट इन ने एक विस्तृत रिपोर्ट प्रकाशित की थी. आप इस लिंक को क्लिक कर पूरी रिपोर्ट पढ़ सकते हैं. इस रिपोर्ट के प्रकाशित होने के बाद जायसवाल ने एक मेल भेजा. जिसमें उन्होंने अपना पक्ष रखा. इसके बाद हमारे सम्पादक इर्शादुल हक ने इस मामले पर जायसवाल से बात की. इस मुद्दे पर उनकी बात पढ़िए और उनकी बानगी समझिये.
आपके गांव में साम्प्रदायिक तनाव की हालत है, क्यों
आप पत्रकार हैं. आपने खबर लिखी है आपको पता नहीं है.
लोग तो आप पर आरोप लगा रहे हैं, कि इस तनाव के पीछे आपका हाथ है
कौन लोग कह रहा है/ एक आदमी का नाम बताइए
एक या दो नहीं, सैंकड़ों लोग आप पर इल्जाम लगा रहे हैं. आप पर यह भी आरोप लगा कि आपने कब्रिस्तान के पास जानबूझ कर अष्टयाम आयोजित कराया. इससे तनाव बढ़े और आप एक समुदाय का वोट ले सकें.
वह विवादित जमीन है. वहां पर ब्रह्म बाबा का चबुतरा है. हिंदू लोगों के सबसे बड़े देवता हैं ब्रह्म बाबा. दोनो समुदायों के लोगों के बीच 1957 में इस जगह को लेकर सुलहनामा हुआ.
क्या सुलहनामा हुआ
अब इसकी जानकारी तो सबको मिल कर हासिल करनी पड़ेगी.
पेड़ के पास चबूतरा है और जिसके बारे में कहा जाता है कि वह कब्रिस्तान में है. पूजा करने में अल्पसंख्यकों ने ऐतराज नहीं जताया. लेकिन उन्हें अष्टयाम पर आपत्ति है.
अष्टयाम भी वहां हुआ है पहले
कब अष्टयाम हुआ?
देखिये.. वहां कब्रिस्तान भी है और ब्रह्म बाबा का चबुतरा भी है. अगर 18-20 साल तक किसी मुस्लिम की मौत नहीं हो और उसमें दफ्न का काम न किया जाये तो क्या वह कब्रिस्तान नहीं रहेगा? इसी तरह अगर बहुत वर्षों से अष्टयाम नहीं हुआ और अगर अब किया जा रहा है तो इसमें क्या आपत्ति है.
भई आप जनप्रतिनिधि हैं. 18-20 वर्षों में अष्टयाम नहीं हुआ. हालांकि लोगों का दावा है कि कभी अष्टयाम हुआ ही नहीं वहां, लेकिन आप कह रहे हैं कि लोग ब्रह्म बाबा की पूजा करते हैं तो, एक जनप्रतिनिधि के नाते दोनों समुदायों के बीच भाईचारा बनाना आपकी जिम्मेदारी है न?
अब हमें कोई जनप्रतिनिधि मानेगा तब तो हम भाईचारे की बात करेंगे. अगर लोगों को आपस में लड़ना है तो मैं क्या करूंगा.
आपको लोग जनप्रतिनिधि क्यों नहीं मानते. आप विधायक हैं. आपके पास जनप्रतिनिधि होने का सर्टिफिकेट है. तो फिर लोग क्यों नहीं मानते लोग.
उन लोगों को पंचित में बुलाया गया तो वे {मुसलमान} क्यों नहीं आये?
आपके पैतृक गांव में साम्प्रदायिक तनाव का माहौल है. पुलिस कैम्प कर रही है. क्या यह बुरा नहीं लगता कि खुद आपके गांव का यह हाल है?
{गैर जिम्मादार जवाब सुनिये}अच्छा तो है कि पुलिस यहां तैनात है. लोग तो कई वर्षों से थाने की मांग कर रहे थे, अब पुलिस चौकी बिन मांगे मिल गयी.
तो क्या इसी लिए कुछ शरारती लोगों ने तनाव फैलाया ताकि यहां पुलिस थाना बन जाये ?
छोड़िये..
कभी आप राम-रहीम सेना के नाम पर दो समुदायों में आपसी भाईचारा फैलाते थे. अब आप पर वोट के लिए साम्प्रदायिक तनाव फैलाने का आरोप लग रहा है.
छोड़िए उसकी {राम-रहीम सेना की} बात.हमारा वोट घटा कहां है कि हम तनाव फैलायेंगे. हमारा तो वोट बढ़ा है.
तो क्या वोट बढ़ाने के लिए कुछ लोगों ने कब्रिस्तान में अष्टयाम का आयोजन करवाया?
देखिए.. हम यहां कुछ ग्रामीणों के संग हैं. उनको लग रहा है कि विधायक जी उनसे बात करने के बजाये फोन पर बात कर रहे हैं. हम फिर बाद में बाद करेंगे. { फोन डिसकन्नेक्ट हो जाता है.}
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