सुप्रीम कोर्ट द्वारा आयोजित पेपरलैस समारोह में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ऑनलाइन पिटीशन दायर करने की व्यवस्था Case Management Information System (ICMIS) की शुरुआत करते हुए कहा कि आज आधुनिकता की एक ओर कदम वह भी न्याय व्यवस्था की तरफ से हो रहा है. मैं चीफ जस्टिस और उनकी पूरी टीम को बधाई देता हूं. अगर पेपरलेस इकोनॉमी की आएगी तो कितने जंगल बचेंगे.

नौकरशाही डेस्‍क

दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित इस कार्यक्रम में प्रधानमंत्री ने जजों द्वारा छुट्टियां कम करके काम करने पर  आभार जताया और कहा कि आज से इंटरनेट के जरिए अपील दायर होगी. अपने संबोधन में पीएम ने तकनीक पर बल देते हुए कहा कि समस्या तकनीक की नहीं है, इसलिए तकनीकी बदलाव के साथ खुद को जोड़ना होगा.

उन्‍होंने कहा कि एक A-4 साइज का कागज तैयार होने में 10 लीटर पानी का प्रयोग होता है. अगर तकनीक से इसका प्रयोग रोका जाएगा तो पेपर लेस होने की दिशा में आगे बढ़ सकते हैं. वहीं, इस मौके पर कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने खुशी जाहिर करते हुए कहा कि डिजिटल स्टोरी सुप्रीम कोर्ट से आ रही हैं. एक्सेस टू जस्टिस अब डिजिटल तरीके से आ रहा है.  गरीब लोगों तक न्याय पहुंचे इसके लिए ये एक बड़ा प्रयास है.

उन्‍होंने बताया कि  देश भर में 16730 जिला कोर्ट हैं. यहां सात करोड़ केस लंबित हैं, लेकिन ये भी है कि चार करोड़ जजमेंट या आर्डर वेब पर मौजूद हैं. उन्‍होंने कहा कि एक आधार कार्ड का खर्च दो डॉलर आता है, जो सबसे महंगा है. हम रोज तीन करोड़ वैरिफिकेशन करते हें. सरकार इस मामले में पूरी तरह सुप्रीम कोर्ट के साथ है और आगे भी डिजिटलीकरण के लिए काम करते रहेंगे.

सुप्रीम कोर्ट के इस समारोह में CJI जगदीश सिंह खेहर ने कहा कि हम चाहते हैं कि लिटिगेंट एक बार ही केस फाइल करे और डिजिटल तरीके से वो सिविल कोर्ट, जिला कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट तक पहुंचे. ये पारदर्शी, सटीक और बिल्कुल अतिक्रमण रहित है.

By Editor


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