पर्सनल लॉ बोर्ड वूमेन विंग ने मीडिया और कुछ संगठनों द्वारा मुस्लिमों में तलाक की समस्या को तूल देने की साजिश का जोरदार जवाब दिया और कहा कि देश में हर साल दस लाख बेटियां गर्भ मे मार दी जातीं हैं जिसकी चिंता नहीं की जाती. जबकि सच्चाई यह है कि मुसलमानों में तलाक की दर अन्य धर्मों की तुलना में नगण्य है फिर भी मुसलमानों को बदनाम किया जा रहा है.
कोलकाता में आयोजित मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की महिला शाखा द्वारा आयोजित वर्कशाप में बोर्ड के सदस्य मौलाना अबू तालिब रहमानी ने कहा कि अल्पसंख्यक महिलाओं के अधिकार भारती संविधान में उतने ही हैं जितने बहुसंख्यक समाज के. उन्होंने कहा कि लेकिन कुछ संगठन और मीडिया का एक तबका मुस्लिम महिलाओं के मुद्दें को हवा दे रहे हैं जबकि सच्चाई यह है कि इस्लाम ने महिलाओं को सर्वाधिक सम्मान दिया है.
इस अवसर पर मौलाना हनीफा कासमी ने कहा कि इस्लाम ने 1400 साल पहले ही महिलाओं को तमाम अधिकार दिये हैं जो अन्य धर्मों में नहीं दिये गये. उन्होंने कहा कि महिलाओं की आजादी के नाम पर उन्हें बेहाई के लिए मजबूर करना उननके ऊपर जुल्म और उनका शोषण करने जैसा है. वर्कशाप को संबोधित करते हुए मौलाना शकील कासमी ने कहा कि इस्लाम ने बेटियों को जिंदा रहने का अधिकार बहाल किया. इस्लाम से पहले बेटियों को पैदा होते ही जिंदा दफ्न कर देने की परम्परा थी जिसे इस्लाम ने खत्म किया. उन्होंने इस बात के लिए गंभीर चिंता जतायी कि आज भारत में हर वर्ष दस लाख से ज्यादा बच्चियां गर्भ में मार दी जा रही हैं, जिसकी अनुमित इस्लाम नहीं देता. इस अवसर पर महिला शाख की डाक्टर असमा जोहरा ने कहा कि मौजूद हालात में मुस्लिम महिलाओं की जिम्मेदारी काफी बढ़ गयी है और अब उन्हें आगे आ कर सामाजिक बुराइयों के खिलाफ उठ खड़ होना चाहिए. उन्होंने कहा कि तलाक या सेपरेशन के आंकड़ें को देखें तो यह साफ हो जाता है कि मुस्लिम समाज में तलाक की दर अन्य धर्मावलम्बियों की तुलना में काफी कम है लेकिन इस मामले में मुस्लिम समाज को बदनाम करने की संगठित साजिश की जा रही है इसलिए हमें इन साजिशों को नाकाम करने के लिए एकजुट हो कर जवाब देना होगा.
पटना से इस वर्कशाप में शामिल प्रतिनिधि डाक्टर महजबीं नाज ने जोर देते हुए कहा कि मुस्लिम समाज को बदनाम करने की साजिश के खिलाफ हमें एकजुट हो कर जवाब देने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस्लाम और मुस्लिम विरोधी ताकतें मुस्लिम महिलाओं के अधिकारों के लिए बेवजह चिंतित हैं जबिक उन्हें अपने समाज की बेटियों की चिंता करनी चाहिए जो गर्भ के अंदर पैदा होने से पहले ही मार दी जाती हैं.
वर्कशाप में शामिल महिलाओं का स्वागत नूरजहां शकील ने किया जबकि आजमी आजम ने वर्कशाप में शामिल प्रतिनिधियों का स्वागत किया.