शरद यादव का इसबार फिर महिला विरोधी बयान चर्चा में है. उन्होंने कहा बेटी की इज्जत जायगी तो गाँव की इज्जत जायगी, वोट एक बार बिक गया तो देश की इज्जत चली जायेगी. इसलिए वोट को बिकने न दो. उनकी इस टिप्पणी पर सोशल मीडिया गर्म हो रहा है.
पत्रकार निराला ने उनकी टिप्पणी के बाद अपने अनुभव साझा करते हुए शरद यादव के बारे में क्या लिखा आप भी पढ़ें.
शरद यादव का छह साल पहले एक बार इंटरव्यू किया था. बहुत उत्साह के साथ गया था उनका इंटरव्यू करने, करीब तीन घंटे तक इंटरव्यू खींचा था. बहस पर बहस हुई थी. लालू को लेकर उटपटांग बके थे कि लालू है क्या, मेरे सामने वह है क्या? अहंकारी आडंबर के साथ ढेर बातें बोल गये थे शरद उस दिन. उस इंटरव्यू को कर के निकला तो पहले तो यही सोचता रहा कि शरद को बड़ा नेता क्यों माना जाये.
उस दिन के ही बातचीत से यह भी खयाल आया कि शरद कभी कुछ रहे होंगे लेकिन अब इनकी जगह किसी मानसिक आरोग्यशाला में होनी चाहिए. उसके बाद कई बार शरद यादव का इंटरव्यू करने को कहा गया, कभी नहीं किया. सिर्फ एक दफा बीच में बात हुई. एक साल पहले महिलाओं के संदर्भ में शरद यादव द्वारा उटपटांग बयान के बाद शरद के बारे में छह साल पहले बनी मेरी धारणा मजबूत हुई थी और आज यह बयान पढ़कर शरद के बारे में खुद से, खुद के लिए बनायी धारणा और मजबूत हुई.
अच्छा ही किया था नीतीश जी ने उन्हें शंट कर दिया था नहीं तो नीतीश दिन—रात एक कर अपनी छवि बनाते और शरद एक बार में गुड़ गोबर कर देते.