उच्चतम न्यायालय ने मुस्लिमों में तीन तलाक, निकाह हलाला और बहु विवाह की प्रथाओं की संवैधानिक वैधता के प्रश्न को आज संविधान पीठ को सुपुर्द कर दिया। मुख्य न्यायाधीश जगदीश सिंह केहर की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने अपने फैसले में कहा कि इस मामले को पांच सदस्यीय संविधान पीठ को सुपुर्द किया जाता है, जो गर्मियों की छुट्टियों के दौरान 11 मई से रोजमर्रा के आधार पर सुनवाई करेगी।
न्यायालय ने कहा कि इस मामले में सिर्फ कानूनी पहलुओं पर ही सुनवाई होगी। सभी पक्षों के एक-एक शब्द पर अदालत गौर करेगी। न्यायमूर्ति केहर ने कहा कि अदालत कानून से अलग नहीं जा सकती। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह मसला बहुत गंभीर है और इसे टाला नहीं जा सकता। अदालत तीन तलाक के सभी पहलुओं पर विचार करेगी। संवैधानिक पीठ लगातार चार दिनों तक इस मामले पर दोनों पक्ष को सुनेगी। न्यायालय ने संबंधित पक्षों को चार हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश भी दिया। इससे पहले ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (एआईएमपीएलबी) ने न्यायालय से कहा था कि मुसलमानों में प्रचलित तीन तलाक, ‘निकाह हलाला’ और बहुविवाह की प्रथाओं को चुनौती देने वाली याचिकाएं विचार योग्य नहीं हैं क्योंकि ये मुद्दे न्यायपालिका के दायरे में नहीं आते हैं।