राज्य के पूर्व डीजीपी व वर्तमान होमगार्ड सह फायर सर्विस के डीजी अभ्यानंद तीन युगों से भी लम्बी सेवा के बाद 31 दिसम्बर को रिटायर हो जायेंगे. उनके करियर के उतार-चढ़ाव और अचिवमेंट पर पढिये यह रिपोर्ट.
विनायक विजेता
अभ्यानंद अपना 59वां जन्म दिवस मनाने के एक दिन पूर्व यानी 31 दिसम्बर को अवकाश ग्रहण कर लेंगे। 1977 बैच के आईपीएस अधिकारी अभ्यानंद आगामी 01 जनवरी को 60वें वर्ष में प्रवेश कर जाऐंगे।
01 जनवरी 1955 को जन्में पूर्व डीजीपी अभ्यानंद ने 13 नवम्बर 1977 को बिहार कैडर के आईपीएस अधिकारी के रुप में अपना योगदान दिया था। वर्ष 1985-86 में राज्य के 28वें डीजीपी रहे जगदानंद के सुपुत्र अभ्यानंद पुलिस महकमें में कई महत्वपूर्ण पद पर रहते हुए 31 अगस्त 2011 को राज्य के 48वें डीजीपी बनाए गए थे। इस पद पर वह 24 जून 2014 तक रहे।
इसी दिन को इन्हें इस पद से स्थानांतरित कर होमगार्ड सह फायर सर्विस के डीजी पद का पदभार सौंपा गया। पुलिस विभाग की मजबुती और इसके आधुनिकीकरण के लिए अभ्यानंद ने कई सफल प्रयोग किए। वर्ष 2006 में एडीजी, मुख्यालय के रुप में उनके द्वारा आर्म्स एक्ट के मामलों में स्पीडी ट्रायल और सेना और अर्धसैनिक बलों के रिटायर्ड जवानों को मिलाकर ‘सैफ’ नामक बल बनाने के निर्णय को कई राज्यों ने रोल मॉडल के रुप में अपने राज्यों में भी लागू किया।
बीएमपी के एडीजी रहते हुए बीएमपी परिसर में पुलिसकर्मियों और उनके परिजनों के इलाज लिए बनवाया गया अस्पताल पुलिसकर्मियों को हमेशा उनकी याद दिलाता रहेगा।
एक पुलिस अधिकारी होते हुए भी अभ्यानंद ने बच्चों की शिक्षा के लिए कई सफल प्रयोग किए और शिक्षण संस्थानों की स्थापना कर बच्चों को मुफ्त शिक्षा देते रहे हैं। अभ्यानंद अवकाश ग्रहण करने के बाद राजनीति में सक्रिय होंगे या अपना अधिकांश समय गरीब बच्चों को पढ़ाने के लिए शिक्षण संस्थाओं को देंगे इसका खुलासा नहीं हो सका है।
अभ्यानंद के अलावा कई ऐसे पदाधिकारी और है जिन्हें साल के प्रथम दिन नव वर्ष के साथ जन्म दिन की दोहरी बधाई मिलेगी। राज्य में कई पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी ऐसे हैं जिन्हें साल के प्रथम दिन यानी एक जनवरी को दोहरी खुशी और दोहरी बधाई मिलेगी। ऐसे अधिकारियों का दोहरी बधाई इस लिए मिलेगी क्योकि उन्हें वर्ष के प्रथम दिन ही पैदा होने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है।