बुधवार की शाम मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के सरकारी आवास एक अण्णे मार्ग में इफ्तार पार्टी का आयोजन किया गया था। स्वागत की पूरी तैयारी। वीआइपी लोगों के लिए अलग व्यवस्था। सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम। व्यंजन की विविधता। इफ्तार में शरीक होने के लिए काफी लोग आए थे। लगभग सभी मंत्री, सत्ता के नये सहयोगी राजद और भाजपा के नेता भी मौजूद थे।
वीरेंद्र कुमार यादव, बिहार ब्यूरो प्रमुख
वीआईपी कक्ष का दृश्य एकदम मनोरम। बारी-बारी से मंत्री, विधायक, विधान पार्षद पहुंच रहे थे। दो पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी व नीतीश कुमार पहले पहुंच चुके थे। फिर विधानसभा अध्यक्ष उदय नारायण चौधरी भी पहुंचे। आने वाले अतिथि अपनी पसंद, हैसियत और संभावना के अनुकूल जगह ग्रहण कर रहे थे। सबको मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का इंतजार था। करीब 6.35 में इफ्तार का समय था।
इस पार्टी में ‘सीएम नाम धारी’ नेताओं की कतार लगी हुई थी। इसमें तीन ‘सीएम इन वेटिंग’, दो ‘ एक्स सीएम ’ और एक सीएम जीतनराम मांझी थे। भाजपा में मुख्यमंत्री के नामों की संभावनाओं पर चर्चा हुई तो तीन नामों पर घमासान मच गया। इसमें विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष नंदकिशोर यादव ने यह कह कर चर्चा गर्म कर दी कि हम भी चाय बेचते थे। यानी एक चाय वाला प्रधानमंत्री बना तो दूसरा चाय वाला मुख्यमंत्री का स्वाभाविक दावेदार है। उधर भाजपा के प्रेम कुमार ने कहा कि हम छह बार विधायक रहे हैं, मंत्री रहे और फिर अतिपिछड़ी जाति के हैं। इसलिए इस पद पर हमारा दावा बनता है। तो उधर सत्यनारायण आर्य भी मुख्यमंत्री की तख्ती लेकर खड़े हो गए। उन्होंने भी दावा कि हम आठ बार विधायक रहे हैं। अनुसूचित जाति से आते हैं। इसलिए सबसे बड़े दावेदार हम हैं। सीएम श्री मांझी ने भाजपा के चौथे सीएम इन वेटिंग सुशील मोदी को भी फोन करके इफ्तार के लिए बुलाया था। लेकिन शायद उन्हें लगा हो कि कई तरह के सीएम की भीड़ में कहीं खो ना जाएं। इसलिए नहीं आए।
इफ्तार में दो पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी और नीतीश कुमार भी मौजूद थे। मुख्यमंत्री की दाईं ओर राबड़ी देवी बैठी थीं तो बाईं ओर नीतीश कुमार बैठे थे। दो पूर्व मुख्यमंत्रियों के बीच मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी का आत्मविश्वास सांतवें आसमान पर था। उन्हें लग रहा था कि यही समझ बनी रही तो अगला चुनाव भी उनके ही नेतृत्व में लड़ा जाएगा। वर्तमान राजनीतिक समीकरण में यह अप्रत्याशित भी नहीं लगता है। सत्ता का सुलेशन (साइकिल का पंक्चर जोड़ने का काम आता है) इतना मजबूत जोड़ बना देगा, इसकी कल्पना लोकसभा चुनाव के पूर्व कोई नहीं कर सकता था।
वीआईपी हॉल में मुख्यमंत्री के पहुंचने के बाद कैमरा वाले भाई भी हॉल में प्रेवश कर गए। उसी भीड़ में हम भी धक्का खाते ‘मुख्यमंत्रियों की मंडी’ में पहुंच गए। फोटो लेने की होड़ लग जाना स्वाभाविक था। इस बीच किसी ने पूछा – नया सीएम का फोटो खींच रहे हैं कि पुरनका सीएम के । इस पर एक सीएम इन वेटिंग ने कहा- पुरनके पर फ्लैश चमक रहा है। पत्रकार भाई इस इंतजार में थे कि कोई कुछ कमेंट करें, लेकिन नयका और पुरनका सीएम यह नहीं तय कर पा रहे थे कि कौन बोले। इस कारण दोनों आपस में बातचीत करते रहे। लेकिन राजनीतिक कोई टिप्पणी नहीं कर सके।
इस बीच इफ्तार का समय हो गया और फिर सभी लोग पार्टी का आनंद लेने में जुट गए। वीआइपी व्यवस्था का आनंद लेने के लिए हम भी कतार में लग गए और हाथ प्लेट लेकर भोजन टेबुल की ओर चल दिए।
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