तीसरे चरण के चुनाव प्रचार में पीएम मोदी ने आरक्षण पर तथ्यात्मक झूठ बोल साम्प्रदायिक विभाजन की जो कोशिश की. आखिर उनकी झुल्लाहट की वजह क्या है?
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इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट इन

 

मीडिया में आयी खबरों और खुद भाजपा के कई टॉप लीडरों ने पहले दो चरण के मतदान के बाद जो बयान दिये उससे यह अभास हुआ था कि भारतीय जनता पार्टी गठबंधन मुश्किलों के भंवर में फंस गयी थी.

इसके बाद पार्टी के टॉप लीडरों ने वार रूम में बैठ कर अपनी रणनीतियों में व्यापक बदलाव की तैयारी की. इसी के तहत पहला काम यह किया गया कि पटना के मुख्य चौराहों पर भाजपा के लगे बड़े-बैड़े बैनरो और होर्डिंग्स से पीएम नरेंद्र मोदी की तस्वीरें हटायी गयी और बदले में स्थानीय नेताओ की तस्वीरें लगायी गयीं. टीकाकारों नें इसे भाजपा के भंवर में फंसे होने के रूप में परिभाषित किया.

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तीसरे चरण के मतदान की तैयारियों में पार्टी ने अपनी खामियों को दुरुस्त करने की पूरी कोशिश की. पीएम मोदी ने बक्सर से लेकर बेतिया तक रैलियों की झड़ी लगा दी. तमाम चमकते दमकते चेहरों और फिल्मी सितारों को तो वह पहले ही मैदान में उतार चुकी थी. लेकिन तीसरे चरण तक आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत का, आरक्षण के विरोध में दिये गये बयान के भूत ने भाजपा का पीछ नहीं छोड़ा. लालू ने मोहन भागवत के बयान को गांव-गांव तक पहुंचा कर भुनाने की कोशिशिक की.

संसद में सबसे ज्यादा एमपी मोदी के हैं और आरक्षण की साजिश कोई और करे, यह कितनी बड़ी बेबुनियाद बात है. मुझे लगता है कि मोदी जी को संविधान के अनुच्छेद 341 के 1950 के उस अध्यादेश की जरूर जानकारी होगी, जिसमें साफ कहा गया है कि अनुच्छेद 341 के तहत मिलने वाला आरक्षण इस्लाम के धर्मावलम्बियों को नहीं दिया जा सकता.

टिप्पणीकार भी यह समझने लगे थे कि भाजपा और नरेंद्र मोदी आरक्षण के मामले में लालू के जाल में उलझ गये हैं.इस जाल से निकलने के लिए नरेंद्र मोदी ने एक तरकीब तीसरे चरण के चुनाव के तीन दिन पहले खोजी. उन्होंने आरक्षण के मामले पर एक ऐसे तथ्यात्म झूठ का सहारा लिया जो खुद उनके लिए दोधारी तलवार बन गयी. बक्सर में पीएम मोदी ने एक चुनावी सभा को संबोधित करते हुए कह डाला कि लालू-नीतीश और कांग्रेस यह साजिश कर रहे हैं कि पिछड़ों और दलितों के आरक्षण के कोटे में से काट कर पांच प्रतिशत आरक्षण दूसरे धर्म विशेष( मुसलमानों) को देने की साजिश कर रहे हैं. मोदी ने आगे कहा कि वह अपनी जान की बाजी लगा देंगे लेकिन इस साजिश को पूरी नहीं होने देंगे.

मोदी ने यह बयान देते वक्त इस बात का ख्याल भी नहीं रखा कि संविधान में धर्म के आधार पर आरक्षण देने पर पाबंदी है तो लालू-नीतीश यह साजिश कैसे कर सकते हैं? संसद में सबसे ज्यादा एमपी मोदी के हैं और आरक्षण की साजिश कोई और करे, यह कितनी बड़ी बेबुनियाद बात है. मुझे लगता है कि मोदी जी को संविधान के अनुच्छेद 341 के 1950 के उस अध्यादेश की जरूर जानकारी होगी, जिसमें साफ कहा गया है कि अनुच्छेद 341 के तहत मिलने वाला आरक्षण इस्लाम के धर्मावलम्बियों को नहीं दिया जा सकता. यह सब जानते हुए नरेंद्र मोदी ने आखिर यह झूठ क्यों बोला? भई केंद्र में सराकार आपकी और आरक्षण देने का अधिकार आपका लेकिन साजिश वो कर रहा है जिसके पास इतने सांसद भी नहीं जो विपक्षी दल होने का भी दर्जा प्राप्त कर सके. दर असल मोदी का यह बयान उनकी उस झुल्लाहट का परिणाम है जो प्रथम दो चरणों के मतदान तक मोहन भागवत के आरक्षण संबंधी बयान के कारण भाजपा को पिछड़ा विरोधी के रूप में खड़ा कर गया था.

 

नरेंद्र मोदी के इस बयान का एक मतलब यह भी निकाला जा रहा है कि वह दलितों को ड़रा रहे थे कि देखो तुम्हारे कोटे में से मुसलमानों को देने की साजिश वे लोग कर रहे हैं. मोदी का यह बयान ठीक वैसा ही जैसे किसी बैंक में मोहन के अकाउंट में  पांच करोड़ रुपये रखे हो, लेकिन मोहन यह कह रहा हो कि देखो मेरे अकाउंट का पैसा सोहन लोगों को दे देना चाहता है.

तीसरे चरण के वोटिंग के बाद पांच बजे शाम को भाजपा के बिहार प्रभारी भूपिंदर यादव ने इसी बात को फिर से रखा कि लालू-नीतीश यह साजिश कर रहे हैं.

भाजपा की यह रंगत बता रही है कि उसकी हालत पतली है और वह किसी भी तरह वोटों को साम्प्रदायिक आधार पर बांट देना चाहती है.

By Editor

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