बिहार चुनाव के तीसरे चरण के मतदान के लिए तूफानी प्रचार आज थम गया। इस दौरान प्रतिद्वंद्वी राजनीतिक दलों ने अपने विकास के नारे को काफी हद तक एक तरफ रखकर आरक्षण के गर्मागर्म मुद्दे पर एक दूसरे पर निशाना साधा। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की रहनुमाई में राजग और दूसरे खेमे में खड़े जदयू, राजद और कांग्रेस ने प्रचार के दौरान एक दूसरे को ऐसे मुद्दों पर घेरने की कोशिश की, जिनका बिहार से ज्यादा कुछ लेना देना नहीं है। तीसरे चरण में छह जिलों पटना, वैशाली, सारण, नालंदा, भोजपुर और बक्सर में फैली 50 सीटों पर 28 अक्टूबर को वोट डाले जाएंगे।
जमकर चले आरोप-प्रत्यारोप के तीर
प्रचार के दौरान महागठबंधन ने दावा किया कि नरेन्द्र मोदी सरकार एससी, एसटी और ओबीसी के लिए आरक्षण समाप्त करने जा रही है, जिसका प्रधानमंत्री ने प्रचार के अंतिम दिन आज माकूल जवाब दिया। इस दौरान हरियाणा के फरीदाबाद में दलित परिवार को जलाने, इसपर केंद्रीय मंत्री वी. के. सिंह की कुत्ते वाली टिप्पणी, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के एक तांत्रिक से मिलने का वीडियो आदि चुनाव प्रचार को मसालेदार बनाने वाले मुद्दे रहे।
एक स्टिंग वीडियो में जदयू विधायक सत्यदेव सिंह को एक व्यापारी से कथित घूस लेते हुए दिखाया जाना भी मोदी और उनके राजग सहयोगियों को महागठबंधन पर निशाना साधने की वजह दे गया। छपरा, नालंदा और पटना में कल रैलियों को संबोधित करते हुए मोदी ने नीतीश-लालू जोड़ी को प्रतिगामी एजेंडे और 18वी शताब्दी की मानसिकता वाले नेता बताया। उन्होंने तांत्रिक विवाद पर कुमार को आड़े हाथों लिया और कहा कि राजद प्रमुख ‘‘राष्ट्रीय जादू टोना’ पार्टी की अगुवाई कर रहे हैं। नीतीश कुमार ने भी बिना समय गंवाए जवाबी हमला किया और ट्वीट कर कहा, ‘‘बिहार की जनता शाह और उनके आका मोदी को इन चुनावों में लोकतांत्रिक शक्तियों की ताकत का एहसास करा देगी, वह अपनी निश्चित हार देखकर घबराए हुए हैं।