12 दिनों के मीडियाई व भाजपाई हाहाकार के बावजूद महागठबंधन सरकार के अंदर की खटास, मिठास में बदलने लगी है. यूं तो मीडिया को इस मुलाकात के परिणाम की भनक नहीं लगी पर नौकरशाही डॉट कॉम को जो भनक लगी है उससे पता चलता है कि राजद-जदयू दोनों के लिए विन-विन सिचुएशन पर बात बनती दिख रही है.
इर्शादुल हक, एडिटर नौकरशाही डॉट कॉम
महागठबंधन सरकार के ड़ेढ़ वर्ष के कार्यकाल में राजद-जद यू के दरम्यान यह सबसे चैलेंजिंग खीचतान थी. हालात इतने कशीदा हो चुके थे कि मीडिया के ज्यादातर महारथी गठबंधन टूटने की औपचारिक ऐलान करने के लिए अपनी अपनी कलम ले कर तैयार थे. पर नौकरशाही डॉट कॉम को जो सूचनायें मिल रही थीं और जो तथ्य दिख रहे थे, उससे हम अपने पाठकों को यह बताते रहे कि की तलवार तो चमकेगी पर चलाई नहीं जायेगी.
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और अब जब तेजस्वी ने सीएम नीतीश कुमार से बीती शाम मुलाकात की तो उम्मीदें बढ़ी हैं. सूत्रों से जो जानकारी मिली है उसमें तेजस्वी ने नीतीश कुमार के सामने दो महत्वपूर्ण तथ्य रखे. पहला- मंत्री बनने के बाद उनके काम पर किसी तरह का कोई सवाल नहीं उठाया जा सकता. वह ईमानदारी से और भ्रष्टाचार के खिलाफ जीरो टॉलरेंस की पॉलिसी के तहत काम कर रहे हैं. दूसरा- जो आरोप सीबीआई ने भ्रष्टाचार को ले कर उन पर लगाये हैं उसमें कोई दम नहीं है और वह राजनीतिक रूप से राजद को फिनिश करने की साजिश है. जहां तक रेलवे के होटल को लीज पर देने के एवज जमीन हासिल करने का आरोप है तो वह भी अदालत में ठहर नहीं पायेगा, क्योंकि होटल लीज पर देने का काम स्वतंत्र अस्तित्व वाला संस्थान आईआरसीटीसी करता है जिस पर रेल मंत्री की कोई पकड़ नहीं होती. रही बात तेजस्वी के नाम जमीन करने की बात, तो तेजस्वी( सूत्र जो बताते हैं) उस समय नाबालिग थे. ऐसे में जमीन प्राप्त करने में उनकी प्रत्यक्ष भूमिका कहीं से भी नहीं थी.
समझा जाता है कि नीतीश कुमार ने तेजस्वी की बात को बड़ी गंभीरता और सकारात्मक तरीके से सुनी. पर इस दौरान यह सवाल आया कि अगर सीबीआई तेजस्वी के खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट लेती है तब क्या होगा. सूत्र बताते हैं कि तेजस्वी ने, सीएम से कहा कि ऐसे ही मामले में हिमाचल प्रदेश के सीएम को पेशगी जमानत मिल गयी थी, सो उन्हें भी मिल जायेगी. राजद का थिंक टैंक इस कानूनी मसले पर कानूनविदों के साथ मंथन कर रहा है. अगर उन्हें जमानत नहीं मिलती है तो ऐसी स्थिति में तेजस्वी को खुद ब खुद कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ेगा. और अगर तबभी उन्होंने इस्तीफे से आनाकानी की तो निश्चित तौर पर सीएम उन्हें बर्खास्त कर देंगे.
लिहाजा दोनों ही स्थितियों में गठबंधन पर आंच आने की कोई संभावना नहीं दिख रही है. क्योंकि राजद और जद यू के तमाम नेता एक दूसरे के खिलाफ जो भी बयानबाजी कर रहे हों पर ये सब कह रहे हैं कि गठबंधन धर्म का पालन करना दोनों की प्राथमिकता में शामिल हैं.
यहां यह ध्यान रखने की बात है कि सीबीआई ने राबड़ी देवी के आधिकारिक आवास पर 7 जुलाई को छापामारी की थी ऊसके बाद उसने लालू प्रसाद, राबड़ी देवी और तेजस्वी यादव के अलावा आईारसीटीसी के तत्कालीन एमडी पर एफाईआर दर्ज किया था. इसी घटना के बाद राजद व जद यू के बीच तनानी ने गंभीर रूप ले लिया था.