तेजस्वी यादव ने सीएम नीतीश कुमार के कथन से ही उन पर हमला बोला है और कहा है कि उन्हें सृजन घोटाला मामले पब्लिक डोमेन में बिंदुवार जवाब देना होगा.
गौरतलब है कि सीबीआई छापे के बाद नीतीश कुमार ने यही बात तेजस्वी यादव से कही थी. और फिर उन्होंने भजपा के साथ सरकार बना ली.
तेजस्वी ने सृजन घोटाले पर नीतीश कुमार पर जम कर हमला बोला. उन्होंने फेसबुक पर जो लिखा है वह आप भी पढ़ लें.
बात-बात पर झूठी अंतरात्मा और नैतिकता का ढोल बजाने वाले माननीय मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी, देश की जनता को यह जवाब क्यों नहीं देते कि डेढ़ महीने से उनकी सरकार सृजन घोटाले के प्रमुख अभियुक्त अमित कुमार, उसकी पत्नी प्रिया रंजन और भाजपा नेता बिपिन शर्मा को गिरफ्तार क्यों नहीं कर पा रही है? क्या उन्हें सरकारी संरक्षण में कहीं छुपा दिया गया है या विदेश भगा दिया गया है? अब तो केंद्र और राज्य दोनों में आपकी ही सरकार है, अब किस कारणवश, किस विवशता से सरकारी कोताही इन अभियुक्तों पर पूरे सामर्थ्य से स्नेहपूर्वक बरसाई जा रही है? क्या यही है आपका वास्तविक सुशासन? यह सर्वविदीत है कि इन अभियुक्तों के मुँह खोलते ही भाजपा-जदयु के शीर्षस्थ नेताओं की राजनीतिक दोहरेपन की पोटली और सम्भवतः राजनीतिक जीवन ही सदा के लिए समाप्त हो जाएगा। क्या सृजन अभियुक्तों को इस बीच ‘सीमा’ में रहकर मुँह खोलने के ढोंग का प्रशिक्षण दिया जा रहा है?
2008 में ही सृजन महाघोटाले को CAG ने अपने रिपोर्ट में उजागर किया, 2013 में रिज़र्व बैंक तक ने नोटिस भेजा, पर सुशासन के दावाकर्ता जाँच के हर प्रयास पर पानी फेरते रहे। जयश्री ठाकुर के मामले में सृजन घोटाला सरकार के संज्ञान में आया। ग्रह विभाग मुख्यमंत्री के पास था पर फिर भी मनोरमा देवी और सृजन एनजीओ पर कोई कार्रवाई नहीं हुई ।पूरे एक दशक आदरणीय मुख्यमंत्री जी धृतराष्ट्र का रोल प्ले करते हुए अपने प्रिय दुर्योधन- सृजन को बचाते रहे। चार बार जाँच के लिए गुहार लगाई गई पर आप जानबूझकर सोते रहे। जब पानी सिर से ऊपर चला गया और सृजन के पोषित पापी आपस में ही पैसे की बन्दरबाँट को लेकर लड़ने लगे तो आपको ना चाहते हुए भी घोटाले के असीम आकार को देखते हुए नियमानुसार जाँच के आदेश देने पड़े।
पर हमेशा की भाँति इस बार भी अपनी विवशता के बावजूद इस मजबूरी में भी नैतिकता और सुचिता का स्वांग रचा गया। मुख्यमंत्री कह रहे है उन्होंने घोटाला उजागर किया, अगर आप इतने बड़े whistle-blower है तो 10 साल से क्यों गहरी नींद में सो रहे थे। ये तो जब ताबड़तोड़ चेक बाउन्स होने लगे, घोटालेबाज़ आपस में लड़ने लगे तब उजागर हुआ। आप ये बताए एक दशक से ज़्यादा आपने सरकारी ख़ज़ाना क्यों लुटाया? आपको पब्लिक डोमेन में अपनी संलिप्तता का बिंदुवार जवाब देना होगा।