पूर्व उपमुख्यमंत्री सह नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर अपनी नाकामी छुपाने के लिए सिख श्रद्धालुओं की आड़ लेने का आरोप लगाया. उन्होंने फेसबुक क जरिये कहा कि राजद का प्रकाश पर्व के उद्घाटन से लेकर समापन के आयोजन में असीम सहयोग रहा है. नीतीश कुमार ने सदैव भ्रम और छल की राजनीति की है. अब अपनी करतूतें छिपाने के लिए सम्मानित सिख श्रद्धालुओं की आड़ ले रहे है.
नौकरशाही डेस्क
तेजस्वी ने कहा है कि सरकार यह ना भूले की राजद के असंख्यक स्वयं सेवक कार्यकर्ता श्रद्धालुओं और साध-संगत के आगमन, सत्कार और सेवा में लगे हुए है. विगत वर्ष राजद कार्यकर्ताओं की निस्वार्थ सेवा की पूरे विश्व से आई सिख साध संगत ने दिल खोलकर प्रशंसा की थी. राजद द्वारा आहूत बिहार बंद पर उनका कहना है कि राजद का बिहार बंद राज्य व्यापी है. पटना का शहरी क्षेत्र जहां समापन समारोह का आयोजन है, वह बंद के प्रभाव क्षेत्र से बाहर है. फिर पता नहीं क्यों ये रोबोटिक प्रवक्तागण किसे गुमराह कर रहे है ?
उन्होंने ये भी कहा कि नीतीश कुमार को महान और बलिदानी सिख धर्म का अध्ययन करना चाहिए. उन्हें परम श्रद्धेय गुरू गोविंद सिंह जी की शिक्षाओं पर मनन करना चाहिए. गुरू गोविंद सिंह ताउम्र अन्याय, पाखंड, झूठ और कपट के विरुद्ध लड़ते रहे. गुरू महाराज जीवन भर ग़रीब, वंचित, उपेक्षित और किसानों के आध्यात्मिक और सामाजिक उत्थान के किए संघर्ष करते रहे.
तेजस्वी ने नीतीश कुमार को चुनौती देते हुए पूछा कि प्रकाश पर्व में आयी साध-संगत में से किसी भी सिख श्रद्धालु से पूछ लीजिये क्या तानाशाही और अहंकार संतुष्टि लिए से किसी ग़रीब-मज़दूर की रोज़ी-रोटी छिनना जायज़ है ? क्या किसी गुरू प्यारे की रूह को दर्द देना वाजिब है ? क्या भूखे को रोटी देना और उसके हक़ के लिए लड़ना ग़लत है? क्या गुरू महाराज जी ग़रीबों की अगत और जगत को बेहतर नहीं बनाना चाहते थे? क्या गुरू महाराज नहीं फ़रमाते थे कि भूखे पेट आध्यात्मिक उन्नति यानि ध्यान, भजन और सिमरिन नहीं हो सकता? क्या गुरू महाराज छल,कपट,अहंकार और ईर्ष्या को त्यागने उपदेश नहीं देते थे? क्या गुरू गोविंद सिंह जी शांति,उन्नति, समृद्धि के लिए सामाजिक बराबरी की बात नहीं करते थे? क्या गुरू गोविंद सिंह जी हमारी पहचान और साँझी विरासत की धरोहर नहीं है? नीतीश जी कोर्ट का आदेश क्यों नहीं मान रहे?