विधान सभा में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव केंद्रीय मंत्री अश्विनी कुमार चौबे के पुत्र अर्जित शाश्वत चौबे को लेकर लगातार आक्रमक तेवर अपनाए हुए हैं। सदन, सड़क से लेकर मीडिया तक तेजस्वी अर्जित चौबे को लेकर नीतीश कुमार को घेर रहे हैं। भाषा में तीखापन दिख रहा है। उपमुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी पर भी तेजस्वी का हमला तेज है। तेजस्वी की आक्रमकता का असर सत्ता पक्ष पर दिखने लगा है। भाजपा ‘अर्जित चौबे’ जैसा एक और मुद्दा तेजस्वी को नहीं सौंपना चाहती है। इसके लिए रणनीति बनाने की प्रक्रिया भी शुरू हो गयी है।
वीरेंद्र यादव, विधान परिषद से
आज हम दोपहर में उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी के विधान परिषद स्थित कक्ष में बैठे थे। विधायक, विधान पार्षद और पत्रकारों की आवाजाही लगी हुई थी। उपमुख्यमंत्री विधायकों के क्षेत्र से जुड़ी विकास योजनाओं को लेकर मंत्री और अधिकारियों से बातचीत भी कर रहे थे। भोजनावकाश के बाद दोनों सदनों में उन्हें वक्तव्य देना था। इस कारण आंकड़ों का इंतजाम भी कर थे। ‘नीतीश निश्चय’ को ‘तंदुरुस्त’ बनाने के लिए संबंधित प्रावधानों के संबंध में जानकारी भी जुटा रहे थे। इसके साथ ही उन्हें मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के ‘आवरण’ के दरकने का भय भी सता रहा था। मिलने वाले विधायक व विधान पार्षदों से वे रामनवमी और उसके बाद की स्थिति की जानकारी भी हासिल कर रहे थे।
अगले एक-दो दिनों में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और पार्टी ससंदीय दल के नेता आरसीपी सिंह के गृह जिले नालंदा के किसी प्रखंड में रामनवमी की जुलूस निकलने वाली है। इसको लेकर प्रशासनिक स्तर पर पूरी सतर्कता बरती जा रही है। जदयू विधान पार्षद संजय सिंह गांधी भी सुशील मोदी से मुलाकात करने आये और अपनी भावनाओं से अवगत कराया। रामनवमी जुलूस को लेकर नालंदा में भागलपुर या औरंगाबाद की पुनरावृत्ति नहीं हो, इसको लेकर प्रशासन गंभीर है। इसी संदर्भ में उपमुख्यमंत्री ने नालंदा जिले के अपने पार्टी पदाधिकारी और नेताओं से बातचीत की। उनसे रामनवमी जुलूस को शांतिपूर्ण बनाये रखने आग्रह भी किया, ताकि सरकार की फजीहत नहीं हो।
दरअसल सत्ता पक्ष के दोनों प्रमुख पार्टी जदयू और भाजपा अब ऐसा कोई कार्य नहीं करना चाहते हैं, जिससे विपक्षी दलों को एक और ‘अर्जित चौबे’ हाथ लग जाये। इसके लिए सरकार से लेकर संगठन स्तर पर प्रयास किया जा रहा है। इसका असर अब नेताओं की कार्यशैली में भी दिखने लगा है।