राजद विधायक दल के नेता और उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव के लिए राजगीर के अंतर्राष्ट्रीय कंवेंशन हॉल में आयोजित होने वाले राजद का राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर निर्णायक होगा। पार्टी के राष्ट्रीय नेतृत्व सौंपने की पृष्ठभूमि बनाने की तैयारी भी राजगीर से हो सकती है। राजगीर उपमुख्यमंत्री के लिए लॉचिंग पैड साबित हो सकता है।
वीरेंद्र यादव
2 से 4 मई तक होने वाले राष्ट्रीय प्रशिक्षण शिविर अधिकृत रूप से भाजपा के मुकाबले के लिए रणनीति बनाने और राज्य सरकार की उपलब्धियों के प्रचार-प्रसार की कार्ययोजना पर विचार करने के लिए किया जा रहा है। इस दौरान पार्टी की मजबूती और संगठनात्मक विस्तार के मुद्दे पर चर्चा होगी। पहले दो दिन प्रशिक्षण और अंतिम दिन 4 मई को राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक होगी।
लेकिन शिविर का वास्तविक एजेंडा तेजस्वी यादव को नेतृत्व सौंपने की तैयारी है। लालू यादव अब उपमुख्यमंत्री को अपनी राजनीतिक विरासत सौंपना चाहते हैं। इसके प्रारंभिक प्रक्रिया के रूप में उन्हें संसदीय बोर्ड का अध्यक्ष बनाया जा सकता है। इसका मकसद 2019 के लोकसभा चुनाव को लेकर होने वाले गैरभाजपा दलों के संभावित गठबंधन में पार्टी के प्रतिनिधित्व को सहज बनाना है। इसके साथ राष्ट्रीय राजनीति में जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष नीतीश कुमार के समक्ष तेजस्वी यादव को खड़ा करना है। इसके लिए उनके लिए राष्ट्रीय स्तर का पद होना जरूरी है।
पिछले डेढ़ साल के उपमुख्यमंत्री के रूप में तेजस्वी यादव ने उद्घाटन, शिलान्यास और फीता काटने का काम ही मुख्य रूप से किया है। संगठनात्मक स्तर पर कोई व्यापक पहल नहीं की है। अभी तक उनकी राजनीति सचिवालय, राघोपुर और सरकारी समारोह तक सीमित रही है। नये राजनीतिक जरूरतों के अनुसार उन्हें अपने व्यक्तित्व को विस्तार करना होगा। राजगीर के शिविर में उन्हें इस बात का भी प्रशिक्षण दिया जा सकता है कि समाज, पार्टी और राजनीति के बीच कैसे समन्वय बनाया जाता है। दरअसल राजगीर से राष्ट्रीय जनता दल का ‘तेजस्वी युग’ शुरू होने की संभावना है। लेकिन नेतृत्व हस्तांतरण के संक्रमण काल में कार्यकर्ताओं के लिए भी प्रशिक्षण की जरूरत पड़ेगी। इसके लिए भी पार्टी को तैयारी करनी चाहिए।