तेजस्वी ने सीएम नीतीश को बताया थीसिस चुराने का अरोपी, पूछे कई तीखे सवाल
सुप्रीम कोर्ट द्वारा सरकारी आवास मामले में पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की याचिका शुक्रवार को खारिज कर दिया गया था। इस मामले में आज तेजस्वी यादव ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उनकी नैतिकता को जमकर कोसा। यहां तक कि उन्होंने नीतीश कुमार पर जेएनयू के शोधार्थी की थीसिस चुराने का आरोपी भी बता दिया।
नौकरशाही डेस्क
लड़ते रहेंगे लोकतांत्रिक लड़ाई
तेजस्वी ने कहा कि सरकारी आवास मामले में कोर्ट के निर्णय का पूर्ण सम्मान करता हूँ। सरकार के पक्षपात व द्वेषपूर्ण निर्णय के ख़िलाफ़ कोर्ट गया। जो नहीं जानते उनकी जानकारी के लिए बता दूँ नेता प्रतिपक्ष के नाते उसी श्रेणी के बंगले का अभी भी पात्र हूँ और अलॉट किया हुआ है लेकिन मेरी लड़ाई सरकार के मनमाने और ईर्ष्यापूर्ण तरीक़े के ख़िलाफ थी। क़ानूनी दायरे में जो लड़ाई लड़नी थी हमने लड़ी है और अभी भी सरकार के अनैतिक, पक्षपातपूर्ण और मनमाने रवैये के खिलाफ लोकतांत्रिक लड़ाई लड़ते रहेंगे।
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सरकारी आवास प्रकरण पर प्रेस रिलीज़। आशा है कथित नैतिकता के धनी बिहार के कुर्सीवादी मुख्यमंत्री आदरणीय नीतीश कुमार जी मेरे सवालों का जवाब ज़रूर देंगे। pic.twitter.com/WUd3fIvILM
— Tejashwi Yadav (@yadavtejashwi) February 9, 2019
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उन्हें गवारा नहीं कि हम उनके बग़ल में रहे
उन्होंने कहा, ‘मुझे आवंटित आवास नीतीश जी के CM और Ex. CM की हैसियत से स्वयं आवंटित 6 बग़लों को मिलाकर बनाए गए “दो आवासों” से सटा हुआ था और उन्हें यह गवारा नहीं था कि हम उनके बग़ल में रहे क्योंकि हमारा गेट 24 घंटो ग़रीब जनता के लिए खुला रहता है और नैतिक बाबू को वहाँ आने वाली भीड़ से नफरत है। जनता से कटे हुए और जूते-चप्पल खाने वालों की यह नफ़रत स्वाभाविक भी है।‘
तेजस्वी ने कहा कि मैं नैतिकता का ढोल पीटने वाले और जेएनयू के शोधार्थी की थीसिस चुराने के मामले में 20 हज़ार के जुर्माने से सज़ायाफ्ता मुख्यमंत्री आदरणीय नीतीश कुमार जी से पूछना चाहता हूँ कि वो बताए :-
* 2005 में जब वो मुख्यमंत्री बने तब उन्हें जो मुख्यमंत्री आवास मिला उसका क्षेत्रफल क्या था? उसका built-up क्षेत्र क्या था और आज क्या है?
* उन्होंने 1, अणे मार्ग , मुख्यमंत्री निवास में अग़ल-बग़ल के कितने सरकारी आवास किन-किन बहानों से सम्मिलित किए है और क्यों किए है?
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* उन्होंने मुख्यमंत्री और पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से दो आवास क्यों रखे है? क्या वो मुख्यमंत्री के नाते एक ही नौकरी पर पेन्शन भी ले रहे है और वेतनमान भी? ग़ज़ब लूट है।
* पूर्व मुख्यमंत्री की हैसियत से आवंटित 7, सर्कुलर रोड आवास में उन्होंने अब तक कितने बंगले सम्मिलित किए है? जनता को बताए, जहाँ जिस आवास में जाते है उसके अग़ल-बग़ल के सरकारी आवासों पर क़ब्ज़ा क्यों जमाते है?
* उन्होंने दिल्ली में टाइप-8 श्रेणी बंगला क्यों लिया हुआ है? उन्होंने दिल्ली स्थित बिहार भवन में स्थायी रूप से विशेष CM Suite क्यों क़ब्ज़ा रखा है?
* जदयू के विधायकों और पूर्व मंत्रियों ने 10 बंगलो पर अवैध क़ब्ज़ा क्यों जमाया हुआ है?
नीतीश जी, आपको 6-6 बंगले मुबारक हो और किसी दूसरे के नाम से आवंटित कराकर उसमें क़ब्ज़ा जमाकर रहने पर और भी ज़्यादा मुबारकबाद। लगे हाथ यह भी बता दिजीए कि अब 5, देशरत्न मार्ग आवास किसके नाम आवंटित करके उसे मुख्यमंत्री आवास में सम्मिलित करेंगे। ख़ैर, आपने जो संसदीय लोकतंत्र में ईर्ष्या और द्वेषपूर्ण परंपरा स्थापित की है उसके लिए आपको साधुवाद।
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एससी ने खारिज कर दी थी याचिका
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने सरकारी आवास खाली करने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश को चुनौती देने वाली बिहार के पूर्व उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव की याचिका को शुक्रवार को खारिज कर दिया था और उन्हें विपक्ष के नेता के लिए बने आवास में जाकर रहने का आदेश दिया। प्रधान न्यायाधीश रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति दीपक गुप्ता एवं न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की पीठ ने सरकार के फैसले को चुनौती देने के लिए राष्ट्रीय जनता दल (राजद) नेता पर 50,000 रुपये का जुर्माना भी लगाया था।