उपमुख्यमंत्री और राजद विधायक दल के नेता तेजस्वी यादव ने भाजपा विधानमंडल दल के नेता सुशील मोदी को चुप्पी तोड़ने की चुनौती दी है। सुशील मोदी के नाम आज जारी खुला पत्र में उन्होंने कई व्यंग्य कसे हैं और तीखा प्रहार भी किया है।
नौकरशाही ब्यूरो
उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने श्री मोदी पर कटाक्ष करते हुए लिखा है कि विगत राज्यसभा चुनाव के बाद से आप काफी सक्रिय प्रतीत हो रहे हैं। हर वाजिब, गैर वाजिब मुद्दे पर सवाल दागते नज़र आते हैं। दागना भी चाहिए, क्योंकि लोकतन्त्र में विपक्ष का यह कर्तव्य है कि सत्ता पक्ष को जगाए रखे अपने तार्किक सवालों से। पर सवाल ऐसे दागिये कि निशाना सिर्फ जनता का कल्याण हो, अपने पूर्वाग्रह, ईर्ष्या और निजी बैर शांत करने का माध्यम नही।
प्रायोजित सवालों का आरोप
श्री यादव ने कहा कि आप अगर सुर्खियों में नहीं दिखते हैं तो मीडिया की खबरें नीरस हो जाती हैं। आपका कोई प्रायोजित सवाल अखबारों की शोभा ना बढ़ाए तो अखबार अधूरे लगते हैं। आपका कोई आरोप ना सुनने को मिले तो दिन खोखला बीतता है। कभी घर पर सवाल, तो कभी कमरों पर, कभी खिड़कियों पर, कभी सलाहकारों तो कभी तीमारदारों पर, कभी घोड़ों पर तो कभी गधों पर, कभी बेटा-बेटी, तो कभी तीर्थाटन, कभी सुविधाओं तो कभी असुविधाओं पर, कभी किसी की सावर्जनिकता तो कभी निजता पर। आपका दायरा सचमुच अद्भुत है। उन्होंने आगे लिखा है कि आखिर आप पर भी तो दबाव है बीजेपी में लंबे समय तक हाशिये पर रहे ‘प्रतिभाशाली एवं लोकप्रिय’ नेताओं जैसे राज्यसभा सांसद गोपाल नारायण सिंह और गिरिराज सिंह से निरन्तर प्रतिस्पर्धा, अगले चुनावों तक लोगों की स्मृति और आला कमान की दया दृष्टि में बने रहने का।
विजय खेमका के बहाने साधा निशाना
राजद विधायक दल के नेता ने कहा कि आपके पुत्रतुल्य मुझ समेत सभी युवाओं एवं न्यायप्रिय लोगों को अच्छा लगता अगर आप पूर्णिया के भाजपा विधायक विजय खेमका को जिला खनन अधिकारी को धमकी देने के लिए सार्वजनिक रूप से डांटते। दिल्ली फोन घुमा कर अमित शाह से उन्हें पार्टी से बर्खास्त करने की माँग करते। विजय खेमका द्वारा बाहुबलियों वाली दबंगई दिखाने के लिए उन्हें जेल में बन्द करने और स्पीडी ट्रायल की माँग करते। रात में कैंडल मार्च निकालते और दिन में धरने पर बैठते। अधिकारी के परिवार को कार्रवाई का भरोसा दिलाते।
आत्ममंथन की नसीहत
उपमुख्यमंत्री ने श्री मोदी पर प्रहार करते हुए कहा कि आपने तो मुँह पर अदृश्य ताला जड़ कर चाभी गंगा में फेंक दी। क्या आपके सिद्धान्त आपके अंतर्मन को धिक्कार नहीं रहे? ये कैसे सिद्धान्त हैं जो समय, सम्बंध, सरोकार और सरकार देख कर बदलते रहते हैं? आत्ममंथन, आत्मचिंतन और आत्ममनन कर अपने आप से पूछिये अगर भाजपा विधायक की जगह सत्तापक्ष का कोई प्रतिनिधि होता तो आप क्या प्रतिक्रिया दे रहे होते? आपकी बीजेपी विधायक के असंसदीय कृत्य पर यह लंबी चुप्पी जनता के कानों के पर्दे फाड़ रही हैं। बोलिए, मोदी जी बोलिए। पूरा बिहार एकटकी लगाए, नज़रें गड़ाए आपके होंठो के खुलने का इंतज़ार कर रहा है। अब बोल भी दीजिये ना कि दबंगों और बाहुबलियों की अंतरराष्ट्रीय पार्टी है बीजेपी।