यूं तो सीबीआई देश की अग्रणी जांच एजेंसी है जिस पर आम वो खास को बहुत भरोसा है पर कई मामलों में वह विफल रह जाती है. क्या है उकी विफलता का राज? सीबीआई निदेशक ने इन बिंदुओं पर रौशनी डाली है.
सीबीआई ने जोर देकर कार्मिक मंत्रालय (डीओपीटी) से शिकायत की है कि एजेंसी को जांच प्रक्रिया और प्रशासनिक मामलों में सरकार पर जरूरत से ज्यादा निर्भर रहना पड़ता है. अमर उजाला डॉट कॉम के अनुसार एजेंसी के निदेशक रंजीत सिन्हा ने पहली बार मुख्यालय आए कार्मिक राज्यमंत्री जितेंद्र सिंह को दिए गए प्रजेंटेशन में एजेंसी की मुश्किलों से अवगत कराया.
उन्होंने इसके लिए बाजाब्ता एक प्रेजेंटेशन दिया और सीबीआई को वैधानिक दर्जा दिए जाने की जरूरत पर जोर देते हुए एजेंसी ने शनिवार को 47 करोड़ की देनदारी और खाली पड़े 579 पदों को बारे में भी केंद्र को अवगत कराया।.
प्रजेंटेशन के बाद सिंह ने माना कि सीबीआई पर काम का जरूरत से ज्यादा बोझ है. इसकी वजह से एजेंसी के पास कई मामले लंबे समय से लंबित पड़े हैं. उन्होंने यह भी माना कि सीबीआई कई तरह की तकनीकी परेशानियों के जूझ रही है. उन्होंने कहा कि एजेंसी की सभी कमियों को एक एक कर दूर किया जाना उनकी प्राथमिकता होगी.
रंजीत सिन्हा ने करीब एक घंटे के प्रजेंटेशन में बताया कि सरकार पर निर्भरता का एक नतीजा यह है कि एजेंसी 579 खाली पड़े पदों पर अधिकारियों की बहाली नहीं कर पा रही है. इसके साथ सीबीआई निदेशक की नियुक्ति के लिए बनी कमेटी में मौजूदा निदेशक को भी शामिल किए जाने की मांग की गई.