मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने नरेंद्र मोदी के आरोपों का जवाब देने के लिए दिन और समय निर्धारित कर जवाब दिया और उनके दावों की बखिया उधेड़ दी है.
नीतीश ने बुधवार को मोदी के इस बयान पर कि नीतीश का अहंकार एवरेस्ट ऊंचा है, नीतीश ने कहा कि जनता बतायेगी कि कौन अहंकारी है जहां तक हमारी बात है तो हम इतना कहना चाहेंगे कि कि हिमालय हमारी शान है. एवरेस्ट हमारा स्वाभिमान, हम अहंकारी नहीं बल्कि स्वाभिमानी हैं. नीतीश कुमार ने ये भी कहा कि जनता तय करेगी कि कौन अहंकारी है.
इतना ही नहीं नीतीश ने मोदी का जवाब देने के लिए जिस तरह से आंकड़ों और तथ्यों का सहारा लिया है उससे जाहिर होता है कि उन्होंने मोदी का जवाब देने के लिए तीन दिन का समय क्यों लिया. नीतीश के समय लेने के पीछे का कारण, लगता है कि उन्होंने अपने विशेषज्ञों से तथ्यों और आंकड़ों को खूब ठोक बजा कर एकत्र करवाया और जवाब दिया.
नीतीश ने गुजरात के विकास मॉडल की हवा निकाल दी. नीतीश कुमार ने आंकड़ों के आधार पर यह साबित करने की कोशिश की कि मोदी पूरे देश में घूम-घूम कर गुजरात के जिस विकास की दुहाई देते है वो दावा खोखला है.
विकास की तुलना करते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार पिछड़ा राज्य है इसलिए गुजरात से उसकी तुलना करना बेमानी है लेकिन कुछ आकड़े गलत दिए गए. गुजरात का विकास कुछ और कहता है और नरेंद्र मोदी कुछ और.
नीतीश कुमार ने कहा कि वर्ष 2008-9 से 2012-13 तक बिहार का आय विकास दर 11.5 प्रतिशत रहा जबकि इस अवधि में गुजरात का दर 9.1 रहा. वर्ष 2004-5 से 2011-12 तक बिहार में गरीबी के अनुपात में 20.7 प्रतिशत की गिरावट आई जबकि इस अवधि में गुजरात में 15 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई.
बिहार का साक्षारता विकास गुजरात से ज्याद
नीतीश ने आगे कहा, ‘वर्ष 2001-2011 में बिहार के साक्षरता दर में 16.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई जबकि गुजरात में मात्र 10 प्रतिशत की. यही नहीं गुजरात में विद्यालयों से छात्रों के ड्रॉप आउट का प्रतिशत 58 है जबकि इसका राष्ट्रीय औसत 49 प्रतिशत है. ड्रॉप आउट में दलितों और जनजातियों के मामले में यह बढ़ कर क्रमशः 65 और 78 प्रतिशत हो जाता है आखिर एक विकसित राज्य में ये स्थिति क्यों?’
गुजरात की स्वास्थ्य व्यवस्था का पोल खोलते हुए नीतीश कुमार ने कहा कि गुजरात में प्राथमिक केन्द्रों के स्तर पर चिकित्सकों की कमी 34 प्रतिशत है. सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र के स्तर विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी 94 प्रतिशत है. यही नहीं जनजातियों क्षेत्रो में विशेषज्ञ चिकित्सकों की कमी 100 प्रतिशत है.
मिड डे मील में भी बिहार आगे
नीतीश कुमार ने कहा कि मिड डे मील के मामले में बिहार देश के टॉप 5 राज्यों में हैं जबकि गुजरात का नंबर 25वां. कहां गुजरात और कहां बिहार.
नीतीश कुमार बार-बार यही कहते रहे कि गुजरात पहले से ही विकसित राज्य जबकि बिहार को अभी राष्ट्रीय औसत तक पहुंचने का रास्ता तय करना है.
सच्चर कमेटी और मोदी का झूठ
नीतीश कुमार ने निवेश से लेकर सच्चर कमेटी की सच्चाइयों का बखान किया. उन्होंने कहा कि सच्चर कमेटी की जिस रिपोर्ट का हवाला पूर्णिया की रैली में दिया जा रहा था वो रिपोर्ट 2001 के जनगणना पर आधारित 2004-5 की रिपोर्ट है जब वो सरकार में थे ही नहीं.
नीतीश कुमार ने राज्य में अल्पसंख्यकों के लिए चल रहे लाभ योजनाओं का भी पूरा ब्यौरा दिया जिसमें बताया 2004-05 में अल्पसंख्यकों के कल्याण पर जहां राज्य सरकार 3.45 करोड़ रुपया खर्च करती थी वहीं अब 2012-13 में यह बढ़कर 200 करोड़ हो गया है.
नीतीश कुमार ने कहा कि बिहार के पिछड़ेपन के कारण ही वो विशेष राज्य का दर्जा मांग रहे हैं और ये बिहार का हक है. किसी की कृपा से नहीं मिलेगा. बीजेपी पहले पैकेज की मांग करती रही है जो कि मिल चुका है और अब विशेष राज्य का माला जप रही है और मोदी इस तरह से ऐलान कर रहे हैं जैसे पीएम बन चुके हों.
मोदी पर हमला तेज करते हुए नीतीश कुमार ने कहा, ‘बिहार को कोशी बाढ़ में 5 करोड़ रुपये देने का इतना बखान किया गया जैसे इन्हीं पैसों से बाढ़ पीडितों को मदद पहुंचाई गई हो. मदद देने वाले कभी इसका बखान नही करते हैं. हम ने जब पैसा लौटाया तो बीजेपी के लोग भी थे उस समय क्यों नहीं छोड़ कर गए, वो इसलिए नहीं गए क्योंकि उन्हें हमारी जरूरत थी.’
नीतीश कुमार ने मोदी के भाषण में जाति नाम के इस्तेमाल पर भी आपत्ति जताई और कहा कि आजतक किसी ने सार्वजनिक रूप से जाति का नाम नहीं लिया होगा लेकिन प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार बने हुए हैं लेकिन इन सब का ख्याल ही नहीं है. ये कैसे देश को एक साथ लेकर चल सकते हैं.
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